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लॉकडाउन में सड़क पर बच्चे को जन्म देने वाली मध्यप्रदेश की महिला को मिलेंगे एक लाख रुपए
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने राज्य सरकार को दिया था नुकसान भरपाई का आदेश
- कोरोनाकाल में नाशिक से पैदल सतना जाते समय बच्चे को दिया था जन्म
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार ने कोरोना लॉकडाउन में नाशिक से पैदल मध्यप्रदेश के सतना जिले में जाने के दौरान सड़क पर बच्चे को जन्म देने वाली प्रवासी मजदूर महिला शकुंतला कौल को एक लाख रुपए नुकसान भरपाई प्रदान करने को मंजूरी दी है। सरकार ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) के आदेश के अनुसार यह मदद राशि स्वीकृत की है। शकुंतला कोरोना महामारी के चलते लागू लॉकडाउन के समय मई 2020 में नाशिक से पैदल सतना में अपने गांव जा रही थीं। उसी दौरान गर्भवती शकुंतला ने सड़क किनारे बच्चे को जन्म दिया था। सोमवार को प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने नुकसान भरपाई अदा करने के बारे में शासनादेश जारी किया है। इसके जरिए सरकार ने शकुंतला को 50 हजार रुपए और उनके बच्चे को 50 हजार रुपए कुल मिलाकर एक लाख रुपए नुकसान भरपाई मंजूर किया है। सरकार ने धुलिया जिला परिषद के जिला स्वास्थ्य अधिकारी के जरिए शकुंतला को एक लाख रुपए देने निर्देश दिए हैं। धुलिया के जिला स्वास्थ्य अधिकारी को शकुंतला को एक लाख रुपए भुगतान किए जाने के बारे में पुणे के राज्य स्वास्थ्य परिवार कार्यालय में अतिरिक्त निदेशक को 9 जनवरी 2023 से पहले प्रमाण प्रदान करना होगा। इसके बाद अतिरिक्त निदेशक को पीड़िता तक निर्धारित समय में धन राशि पहुंचने के बारे में सरकार के पास रिपोर्ट भेजना होगा। दरअसल, कोरोना संकट के दौरान मई 2020 में गर्भवती शकुंतला नाशिक से पैदल सतना में अपने गांव जा रही थीं। इसी दौरान उन्होंने सड़क किनारे बच्चे को जन्म दिया था। शकुंतला के पति ने बताया था कि बच्चे को जन्म देन के बाद उनकी पत्नी ने केवल दो घंटे आराम किया। फिर वह 150 किमी आगे पैदल चली थीं। हालांकि बाद में सतना जिला प्रशासन ने शकुंतला और उनके बच्चे की जांच के लिए अस्पताल में प्रबंध किया था। जिसके बाद शकुंतला के सड़क पर बच्चे को जन्म देने वाली मीडिया की खबरों का एनएचआरसी ने स्वतः संज्ञान लिया था।
एनएचआरसी ने 30 सितंबर 2021 को सुनवाई करते हुए राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव से इस मामले की रिपोर्ट मांगा था। एनएचआरसी ने महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सरकार को जारी नोटिस में इस घटना को मातृत्व का अनादर करार दिया था। फिर 9 फरवरी 2022 को एनएचआरसी ने पीड़िता को प्रसव के लिए उचित सुविधा उपलब्ध न कराने के चलते एक लाख रुपए अंतरिम मदद देने का आदेश दिया था। एनएचआरसी ने मदद उपलब्ध कराने के लिए 3 मार्च 2022 को आदेश जारी किया था। एनएचआरसी के इस आदेश के बाद राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 30 जून 2022 को बैठक हुई थी। जिसके बाद राज्य के गृह विभाग ने एनएचआरसी को आदेश पर पुनर्विचार के लिए आग्रह किया था। मगर एनएचआरसी ने अपने 3 मार्च 2022 के आदेश को कायम रखते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग के जरिए पीड़िता शकुंतला को नुकसान भरपाई राशि उपलब्ध कराने को कहा था। फिर बाद में एनएचआरसी ने 18 अगस्त को 2022 को पीड़िता को नुकसान भरपाई देने के लिए राज्य सरकार को दोबारा अवगत कराया था। जिसके बाद अब सरकार ने पीड़िता शकुंतला को नुकसान भरपाई मंजूर किया है।
Created On :   26 Dec 2022 9:59 PM IST