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एक तो बाजार में दाम आधे रह गए ऊपर से मौसम ने बर्बाद कर दी पान की फसल , पुस्तैनी व्यवसाय से युवाओं का मोहभंग
डिजिटल डेस्क उमरियापान कटनी । कोरोना के चलते लोगों के मुंह से पान गायब है तो पान उत्पादक किसानों के चेहरों की भी ललिमा उड़ गई है। उमरियापान गांव पान के फसल के लिए प्रदेश भर में जाना जाता है। यहां पर 250 चौरसिया परिवार के लिए यह पुस्तैनी व्यवसाय के साथ जीवकोपार्जन का साधन है, लेकिन लॉकडाउन के कारण पान से किसानों की आधी आमदनी हो गई है। रही कसर सोमवार से बिगड़ैल मौसम ने पूरी कर दी। आंधी तूफान के चलते एक दर्जन से अधिक पान बरेजा धाराशायी हो गए। इससे किसानों को तीन लाख रुपए से अधिक नुकसान हुआ है।
लागत भी नहीं निकल रही
किसानों ने बताया कि अप्रैल माह पान उत्पादन के लिए सबसे अच्छा मौसम कहलाता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण पान की बिक्री नहीं हो सकी और बरेजा में लगी फसल सूख गई। किसी तरह से लखनऊ मंडी में पान के सप्लाई की अनुमति मिली तो कीमत आधी हो गई। जिस पान की कीमत 100 से 150 रुपए प्रति सैकड़ा रही, उसकी कीमत आधे दर पर आ गई। किसान फिर भी लागत निकालने के लिए तैयार हुए थे मौसम ने उनका साथ नहीं दिया।
अब मौसम ने बरपाया कहर
किसी तरह से सप्लाई की अनुमति मिली तो सोमवार को मौसम ने पान की फसलों पर कहर बरपाया। आधी रात को इस तरह से बारिश हुई कि सैकड़ों पान बरेजा नष्ट हो गए। शाम तक आंधी-तूफान कहर बरपाता रहा। इसके बाद तो बारिश ने सब कुछ नष्ट कर दिया। किशोरीलाल चौरसिया, अशोक चौरसिया, नंदू चौरसिया, छोटे चौरसिया, विजय चौरसिया व चमनलाल चौरसिया को भारी क्षति हुई है।
बर्बाद हो रही पान की फसल
बाजार में मांग कम होने के कारण पान की फसल लगातार बर्बाद हो रही है। किसानों के पास मजबूरी है कि पान की सप्लाई नहीं होने से वे उसे फेंक रहे हैं। पान के बेल से टूटने और अधिक समय तक बेल पर लगा रहने से पान सडऩ प्रक्रिया से गुजरने लगता है। वह पान बाजार में कोई भाव नहीं बिकता। किसानों का कहना है कि कोरोनावायरस के कारण किए गए लॉकडाउन से उनको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मदद की आवश्यकता
किसान झल्ली चौरसिया ने कहा कि शासन और प्रशासन यदि इस ओर मदद करे तभी किसान नुकसान से बच सकते हैं। इस बार तो हम किसानों को दोहरी मुसाबित का
सामना करना पड़ रहा है। यदि इसी तरह की स्थिति और कुछ दिनों तक बनी रही तो फिर जीवन यापन करना मुश्किल होगा।
मझधार में फंसे हम
घनश्याम बिहारी चौरसिया ने कहा कि यहां के किसान बीच मझधार में फंसे हुए हैं। यह व्यवसाय पुस्तैनी रुप से करते आ रहे हैं। विरासत की तरह यहां के लोग इसे पीढ़ी दर पीढ़ी संभाले हुए हैं, पर अब इसमें कई तरह की परेशानी है।
दो माह से सभी जगहों पर नुकसान
किशोरी लाल चौरसिया ने कहा कि क्षेत्र का पान दूसरे राज्यों में जाता है। इस बार मांग कम है। जिसके चलते किसानों को आर्थिक रुप से नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों को राहत तभी मिलेगी, जब पान दुकानें संचालित होंगी।
Created On :   7 May 2020 7:11 PM IST