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सरकारी रिकॉर्ड में डेंगू के मात्र 110 मरीज, हकीकत में कई गुना ज्यादा
डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना थमने के साथ डेंगू बुखार ने शहर की बस्तियों और कॉलोनियों में सैकड़ों लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया है। इस जानलेवा बुखार के अनेक केस हर दिन सामने आ रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग हमेशा की तरह इस बुखार के मरीजों की मूल संख्या को लेकर खानापूर्ति में ही लगा है। सरकारी रिकॉर्ड में 1 जनवरी से अब तक डेंगू के 110 मामले सामने आये हैं लेकिन हकीकत में इस जानलेवा बुखार के हाल ही में हर बस्ती में मामले नोटिस हो रहे हैं। गत दिवस स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा में मलेरिया विभाग के अधिकारी डेंगू के मरीजों के मूल आँकड़े नहीं बता पाये। इसको लेकर भी कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने नाराजगी जताई और हेल्थ से जुड़ीं योजनाओं में लापरवाही भरा रुख अपनाने वाले 50 अधिकारियों को नोटिस दिया। मरीजों का इलाज करने वाले एक्सपर्ट के अनुसार प्रशासन की नाराजगी के बाद संभव है कि अब हेल्थ विभाग कुछ हरकत में आये। डेंगू बुखार को जितना सामान्य माना जा रहा है रियलिटी में यह उससे कहीं ज्यादा जानलेवा है। इसमें न केवल जन की हानि है, बल्कि इलाज के दौरान भी आदमी को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मरीज को प्लेटलेट्स घटने पर हॉस्पिटल में भर्ती कर इलाज देने में ही आराम मिलता है। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. आरके पहारिया कहते हैं कि विभाग बस्तियों से लेकर कॉलोनियों में मलेरिया, डेंगू को लेकर गंभीरता से काम कर रहा है। आगे और अभियान को तेज किया जाएगा।
खानापूर्ति में असल संख्या गायब लोगों का आरोप है कि हमेशा मलेरिया विभाग डेंगू, मलेरिया के मरीजों को सीमित संख्या में बताता है। मर्जी के मुताबिक इसमें आँकड़े तैयार किये जाते हैं, ताकि यह दर्शाया जा सके कि बस्तियों में यह बुखार एकदम नियंत्रण में है। निजी हॉस्पिटलों से पूरे मरीजों की जानकारी न मिलने पर मलेरिया विभाग की वार्षिक, छह मासिक रपट तैयार हो जाती है। इस तरह के रवैए से उस अभियान को नुकसान होता है जो इस तरह के बुखार के नियंत्रण के लिए शहर में चलाया जाता है।
Created On :   23 Aug 2021 1:33 PM IST