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छापेमारी से पहले ही क्रेशर प्लांट बंद कर भागे संचालक
संयुक्त टीम की दबिश के पहले हुई मुखबिरी, पंचनामा बनाकर खाली हाथ लौटी टीम
डिजिटल डेस्क सिंगरौली । माड़ा सब डिवीजन में स्थित आधा दर्जन क्रेशरों में छापामारी से पहले ही मुखबिरी के चलते संचालक प्लांट बंद कर भाग खड़े हुये। इसके चलते जांच करने क्रेशर प्लांट गई संयुक्त टीम पंचनामा तैयार कर खाली हाथ लौट आई। बताया जाता है कि कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने संयुक्त टीम गठित करते हुये क्रेशर प्लांटों में नियमों के पालन की सच्चाई को पता लगाने के आदेश जारी किये थे। उपखंड अधिकारी के नेतृत्व में खनिज, प्रदूूषण बोर्ड की टीम को जांच करने पहुंची थी। जानकारों का कहना है कि इन्हीं विभागों के किसी अधिकारी ने टीम के पहुंचने से पहले ही इसकी सूचना क्रेशर प्लांट संचालक को दे दी। इसके चलते क्रेशर प्लांट की जांच के लिये माड़ा पहुंची टीम संचालकों के रिकार्डों की जांच नहीं कर पाई। उपखंड अधिकारी ने बताया कि क्रेशर प्लांटों के बंद होने पर टीम ने बाहर से निरीक्षण करते हुये खामियां पाये जाने पर पंचनामा तैयार किया है। उन्होंने बताया कि क्रशर प्लांटों में पाई गई खामियों की रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जायेगी।
प्रदूषण रोकने के नहीं पाये गये इंतजाम
क्रेशरों की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि संचालक द्वारा प्रदूषण बोर्ड, राजस्व और खनिज के नियमों को ताक पर रखकर प्लांटों का संचालन किया जा रहा है। संयुक्त टीम द्वारा क्रेशर प्लांटों की बाहर से की गई जांच में यह बात सामने आई है कि प्लांटों की धूल और डस्ट आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषित कर रही है। क्रेशर प्लांट संचालकों द्वारा धूल और डस्ट को रोकने के लिये पानी का छिडक़ाव नहीं किये जाने के कारण किसानों के खेत बंजर होने लगे है। जांच अधिकारियों का कहना है कि क्रेशर प्लांटों में धूल और डस्ट को रोकने के लिये बांउड्रीवॉल तक का निर्माण नहीं कराया गया है। इसके चलते क्रेशर प्लांट से निकलने वाली धूल और डस्ट आसपास के क्षेत्रों को प्रदूषित कर रही है।
आखिर किसके संरक्षण में ताक पर नियम
माड़ा क्षेत्र में स्थित दो दर्जन से अधिक क्रेशरों में नियमों को ताक पर रखकर प्लांट का खुलासा होने सेे यह सवाल उठता है कि आखिरी किसके संरक्षण में अब तक इनका संचालन हो रहा था। आरोप है कि खनिज और प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी की मिलीभगत के चलते क्रेशर संचालक लंबे समय से आम लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने के साथ नियमों को ठेंगा दिखा रहे थे। बताया तो यहां तक जाता है कि क्रेशर प्लांटों से अफसरों का महीना फिक्स होने के कारण इन पर लंबे समय से कार्रवाई की दरकार बनी हुई थी। ऐसे में कलेक्टर श्री मीना द्वारा जांच के आदेश जारी किये जाने के बाद क्रेशर प्लांट संचालकों से अफसरों की जुगलबंदी और नियमों के उल्लंघन की असलियत सामने आने लगी है।
अवधि खत्म, फिर संचालन कैसे?
खनिज विभाग की जानकारी के अनुसार माड़ा क्षेत्र में स्थिति एक दर्जन क्रेशर प्लांटों के संचालन की लीज खत्म हो चुकी है। बताया जाता है कि पत्थर खदानों का रिन्यूवल नहीं होने के बाद भी के्रशर संचालकों द्वारा दबंगई के दम पर प्लांट का संचालन किया जा रहा है। जानकारों का कहना है अवैध तरीके से क्रेशर प्लांट का संचालन अफसरों के लिये कमाई का जरिया बनने के कारण अब तक इन पर कार्रवाई नहीं हो पाई है। इसके चलते क्रेशर प्लांट संचालक खनिज, राजस्व और प्रदूषण बोर्ड के नियमों सरेआम कुचल रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि पत्थर खदानों की लीज की अवधि खत्म होने के बाद भी इनका संचालन कैसे किया जा रहा है?
नियमों की सरेआम उड़ रही धज्जियां
जिले में क्रेशर प्लांट संचालकों द्वारा नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाये जाने के बाद भी अफसरों की खामोशी किसी के गले नहीं उतर रही है। जानकारों का कहना है कि जिले में 150 से अधिक क्रेशर प्लांटों में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसे में यदि कलेक्टर द्वारा के्रशर प्लांटों की जांच कराई गई तो कारोबारियों की गर्दन फंसना लगभग तय माना जा रहा है। बताया जाता है कि अधिकारियों की रहमोकरम के चलते क्रेशर प्लांटों में प्रदूषण बोर्ड के नियम दम तोडऩे के लिये मजबूर हैं।
इन प्लांटों की हुई सरप्राइज चेंकिंग
संयुक्त टीम ने माड़ा क्षेत्र के सेमरिया में स्थिति मेसर्स सर्वेश्वरी माइंस, तिरूपति माइंस, महामाया माइंस, शिवशक्ति माइंस, बघेल माइंस के क्रेशर प्लांटों में दबिश दी है। जांच अधिकारियों ने बताया कि निरीक्षण के दौरान सभी के्रशर प्लांट बंद पाये गये हंै। इसके चलते जांच की औपचारिकता पूरी करते हुये संयुक्त टीम वापस लौट आई है। जांच टीम में नायब तहसीलदार
सुमित गुप्ता, खनिज निरीक्षक विद्याकांत त्रिपाठी और प्रदूषण बोर्ड के प्रयोगशाला की टीम में शामिल रहे।
इनका कहना है
क्रेशरों की जांच करने पहुंची टीम जब मौके पर पहुंची तो सभी प्लांट बंद पाये गये। प्लांटों में धूल और प्रदूषण रोकने के इंतजाम नहीं थे। के्रशर प्लांटों में डस्ट रोकने के लिये चौतरफा बांउड्रीवॉल नहीं है। प्लांट संचालकों के मौके पर उपस्थित नहीं पाये जाने पर पंचनामा तैयार किया गया है। पूरे मामले की रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जायेगी।
-एसपी मिश्रा, एसडीएम, माडा
Created On :   12 Feb 2021 5:43 PM IST