- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- ग्राम पंचायतों में प्रशासक की...
ग्राम पंचायतों में प्रशासक की नियुक्ति के लिए पालकमंत्री की राय की आवश्यक नही - हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने ग्रामपंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति के मामले में पालकमंत्री से सलाह लेने को लेकर किए गए प्रावधान पर राज्य सरकार को झटका दिया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि पालकमंत्री के परामर्श के प्रावधान को रखा जाएगा तो यह परामर्श आदेश का रुप ले लेगा। जिले में पालकमंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसलिए सत्ताधारीदल इसके जरिए सारी चीजे अपने नियंत्रण में करना चाहेगा। लिहाजा प्रशासक कि नियुक्ति में जिले के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को स्वतंत्र रुप से कार्य का अवसर मिलना जरुरी है। इसलिए सरकार की ओर से इस बारे में 13 जुलाई 2020 को जारी किए गए शासनादेश को रद्द किया जाता है।
सरकार के इस आदेश के खिलाफ कई ग्रामपंचायतों के सरपंचो ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में सरकार के इस शासनादेश को अवैध व असंवैधानिक व लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत बताया गया था। राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने याचिका का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रशासक की नियुक्ति में सिर्फ पालकमंत्री के सलाह का प्रावधान किया है। इसलिए सरकार के निर्णय को अवैध नहीं माना जा सकता है।
इस याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने 23 नवंबर 2020 को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिसे खंडपीठ ने गुरुवार को सुनाया। फैसले में खंडपीठ ने कहा हम नहीं चाहते कि प्रशासक की नियुक्ति को लेकर जिले के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को जो अधिकार दिए गए हैं, उसे पालकमंत्री प्रभावित करे और उसमें हस्तक्षेप करे। मुख्य कार्यकारी अधिकारी को स्वतंत्र रुप से कार्य करने का अवसर मिलनी चाहिए। उसके कार्य के लिए कोई शर्त नहीं जोड़ी जानी चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि पालकमंत्री जिले की नियोजन कमेटी का प्रमुख होता है। यह कमेटी राज्य के हर जिले में होती है। जो जिले की बुनियादी सुविधाओं के मसले को देखती है।
जिले में पालकमंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में पालकमंत्री की सलाह काफी महत्वपूर्ण होती है। इस लिहाज से मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पालकमंत्री से परामर्श लेने का प्रावधान संविधान में प्रशासक की नियुक्ति को लेकर की गई व्यवस्था के अनुरुप नहीं है। इसलिए सरकार की ओर से जारी किए गए शासनादेश को रद्द किया जाता है। गौरतलब है कि कार्यकाल पूरा होने के बाद जिन ग्राम पंचायतों में कोरोना संकट के चलते चुनाव नहीं हो सके हैं, वहां प्रशासक नियुक्त किए जाने हैं।
Created On :   1 April 2021 9:34 PM IST