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शिवाजी महाराज से मोदी की तुलना पर भड़का विपक्ष
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील अपने छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदुत्व का वोट बैंक विकसित करने वाले बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। बुधवार को पाटील के बयान पर महाविकास आघाड़ी के घटक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पाटील ने कहा था कि शिवाजी महाराज ने भी हिंदुत्व का वोट बैंक विकसित किया था। हाल के वर्षों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदुत्व के वोट बैंक पर कलश चढ़ाया है।
पाटील के बयान की आलोचना करते हुए प्रदेश कांग्रेस के महासचिव सचिन सावंत ने बुधवार को कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज को वोट बैंक से जोड़ना भाजपा की निचले स्तर की राजनीति है। उन्होंने कहा कि भाजपा शिवाजी महाराज की तुलना मोदी से करके छत्रपति का अपमान कर रही है। पाटील को महाराष्ट्र की जनता से माफी मांगनी चाहिए। राकांपा विधायक अमोल मिटकरी ने कहा कि पाटील ने शिवाजी महाराज की तुलना मोदी से करके बचकानी हरकत की है। उनके बयान का कोई समर्थन नहीं कर सकता है। पाटील को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए। मिटकरी ने कहा कि पाटील को मालूम होना चाहिए कि शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की स्थापना की थी। जिसमें समाज के सभी वर्गों का समावेश है।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कहा कि भाजपा के नेताओं को रह-रहकर मिर्गी आती है। वह शिवाजी महाराज की मोदी से तुलना करने लगते हैं। लोंढे ने कहा कि शिवाजी महाराज का शासन जाति और धर्म से ऊपर था। जबकि मोदी का शासन मुट्ठी भर लोगों के हितों के लिए है। वहीं शिवसेना विधायक मनीषा कायंदे ने कहा कि पाटील ने मोदी की तुलना सीधे शिवाजी महाराज से की है। उन्हें शिवाजी महाराज के अपमान के लिए माफी मांगनी चाहिए। कायंदे ने कहा कि हम व्यक्ति की किसी के प्रति भक्ति को समझ सकते हैं लेकिन पाटील ने अंधभक्ति का परिचय दिया है।
शिवाजी महाराज ने भी तैयार किया था हिंदुत्व का वोट बैंकः चंद्रकांत पाटील
इसके मंगलवार को पाटील ने पुणे में कहा था कि पार्टी कई सालों से मेहनत करके वोट बैंक तैयार करती है। यह वोट बैंक संत और महंतों तक पहुंचता है। शिवाजी महाराज तक पहुंचता है। क्योंकि उन्होंने भी हिंदुत्व का वोट बैंक तैयार किया था। पाटील ने कहा कि चुनावों में उम्मीदवारी का टिकट और वोट बैंक पार्टी का होता है। चुनाव में उम्मीदवारों के जीत के लिए उनका चेहरा और काम थोड़ा उपयोगी होता है। पार्टी किसी नेता को उनका काम देखकर चुनाव में उम्मीदवारी के लिए टिकट देती है। इसलिए चुनाव में उम्मीदवारी न मिलने पर यह कहना उचित नहीं है कि मेरा टिकट काटा गया है।
Created On :   15 Dec 2021 8:36 PM IST