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विधानसभा के भीतर और बाहर गूंजा सामना, किसान मदद पर पीछे हटने को तैयार नहीं विपक्ष, जारी रहेगा हंगामा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधानमंडल के दोनों सभागृह के भीतर व बाहर सामना की गूंज रही। सामना चुप के नारे लगाए गए। जवाब में मुख्यमंत्री को कहना पड़ा कि सामना काे पढ़ते तो सामना नहीं करना पड़ता। दरअसल सामना का अभिप्राय शिवसेना के मुखपत्र सामना अखबार से है। मंगलवार को विपक्ष के सदस्यों ने सामना समाचार पत्र में छपी खबर के बैनर के साथ सभागृह के सामने प्रदर्शन किया। भाजपा के सदस्यों ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनने के पहले राज्य के अतिवृष्टि प्रभावित किसानों को प्रति हेक्टेयर 25 हजार रुपये की सहायता दिलाने का आश्वासन किया था। आश्वासन का समाचार उनके ही समाचार पत्र सामना में छपा है। किसानों को राहत दिलाने के लिए बार बार तीखे लेख लिखे जाते रहे हैं। अब सामना चुप है। विधानसभा व विधानपरिषद में भी सामना को लेकर भाजपा के सदस्यों ने नारे लगाए। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वचन के पक्के मुख्यमंत्री ने किसानों को दिए वचन अर्थात आश्वासन पूरे करने में देरी नहीं करना चाहिए। सामना की खबर के बैनर के साथ भाजपा के सदस्यों ने विधानसभा में हंगामा भी किया। बाद में मुख्यमंत्री ने संवाद माध्यम से चर्चा में कहा कि विपक्ष केवल हंगामें पर ध्यान दे रहा है। किसानों को सहायता देने का वादा नहीं भुलाया जाएगा। केंद्र सरकार से 15 हजार करोड रुपये मिलने की शुरुआत भी हो गई है। चार से साढे चार हजार करोड रुपये राज्य को मिल चुके है। किसानों की स्थिति को लेकर हंगामा करनेवाले पहले कहते थे कि वे सामना पेपर को नहीं पढ़ते हैं। पहले से सामना पढ़ते रहते तो इस तरह भाजपा को सामना नहीं करना पड़ता।
विपक्ष अब किसानों के मसले पर लौटा
विधानमंडल के शीतकालीन अधिवेशन के पहले दिन सावरकर मामले पर सत्ता पक्ष को घेरने के बाद विपक्ष अब किसानों के मसले पर लौट आया है। विपक्ष 25 हजार प्रति हेक्टेयर के हिसाब से किसानों को मदद देने की मांग पर आगे भी अड़ा रहेगा। बुधवार को भी इस मसले पर दोनों सदनों में हंगामे के आसार हैं। विधानसभा चुनाव के बाद राज्य के कई हिस्सों में हुई बेमौसम बारिश से किसानों की खेती को भारी नुकसान हुआ है। उस वक्त राज्य में देवेंद्र फडणवीस की कार्यवाहक सरकार थी। बतौर शिवसेना पक्ष प्रमुख फसलों के नुकसान का जायजा लेने गए उद्धव ठाकरे ने उस वक्त प्रति हेक्टेयर 25 हजार नुकसान भरपाई की मांग की थी। बाद में बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में उद्धव राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। इस लिए अब विपक्ष में बैठने को मजबूर भाजपा इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहती। मंगलवार को विपक्ष के हंगामे की वजह से दोनों सदनों में कामकाज नहीं हो सका। विपक्ष बुधवार को भी किसानों के मसले पर आक्रामक रुख अपनाएगा।
तो रोकना पड़ेगा सरकारी अधिकारियों का वेतन
दरअसल हाल ही में सत्ता छोड़ने वाले भाजपा नेताओं को यह बात पता है कि राज्य की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि किसानों को प्रति हेक्टेयर 25 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जा सके। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री ने बताया कि 80 घंटे के मुख्यमंत्री रहने के दौरान फडणवीस ने किसानों के लिए 5380 करोड़ का आर्थिक पैकेज घोषित किया था। दरअसल उस वक्त फडणवीस सरकार किसानों के लिए 10 हजार करोड़ की आर्थिक मदद देना चाहती थी। पर राज्य के मुख्य सचिव ने यह कह इतनी आर्थिक मदद देने में असमर्थता जताई की यदि ऐसा किया गया तो तीन माह तक सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के वेतन रोकने पड़ेंगे। ऐसा महाराष्ट्र में पहली बार होगा जिससे देशभर में राज्य छवि खराब होगी। बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों को उद्धव ठाकरे के वादे के अनुसार 25 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की मदद के लिए 23 हजार 632 करोड़ रुपयों की जरूरत होगी। यदि किसानों को इतनी मदद दी गई तो करीब सात माह तक सरकारी कर्मचारियों के वेतन रोकने पड़ेंगे। गौरतलब है कि बेमौसम बारिश से राज्य में 94,53,139 हेक्टेयर की फसलों को नुकसान हुआ है।
Created On :   17 Dec 2019 8:34 PM IST