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हाईकोर्ट का आदेश, गांधी स्टेडियम खाली करो या मुआवजा दो
डिजिटल डेस्क शहडोल। नगर के जिस गांधी स्टेडियम ने अनेक प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी है उसके ही अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। हाईकोर्ट के फैसले पर अमल हुआ तो स्टेडियम को खाली करना पड़ सकता है। जिले की पहचान बन चुका गांधी स्टेडियम निजी जमीन पर बना है। 7.66 एकड़ के स्टेडियम में चार एकड़ से अधिक हिस्सा प्राइवेट है। भूमि स्वामी ने अपनी जमीन पर दावा किया तो निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट ने उसके दावे केा सही ठहराया और स्टेडियम खाली करने या भूमि स्वामी को मुआवजा देने का आदेश दिया। सोहागपुर निवासी इनायत खां ने 1986 में अपर न्यायालय शहडोल में दावा किया था कि जिस जमीन पर गांधी स्टेडियम का निर्माण किया गया है वह उसकी है। खसरा नंबर 77 रकबा 0.05 एकड़, खसरा नंबर 83 रकबा 0.09 एकड़, खसरा नंबर 84 रकबा 0.62 एकड़, खसरा नंबर 86 रकबा 0.38 एकड़ उसके स्वामित्व की जमीन है। अपर न्यायालय शहडोल ने उसके दावा को सही ठहराते हुए इनायत खां के पक्ष में निर्णय दिया। जिला एवं सत्र न्यायालय शहडोल ने इनायत खां के पक्ष में डिक्री पारित कर खसरा नंबर 104 रकबा 2.85 एकड़ एवं खसरा नंबर 88 रकबा0.01 एकड़ को भी इनायत खां का स्वामित्व घोषित किया। इस तरह लगभग चार एकड़ जमीन पर इनायत खां के दावा को विभिन्न न्यायालयों ने सही ठहराया।
53 साल पहले शासन ने किया था अधिग्रहण-
जानकारी के अनुसार शासन ने स्टेडियम के लिए 53 साल पहले 1964-65 में जमीन का अधिग्रहण किया था। भू अर्जन को लेकर तभी से विवाद चला आ रहा है। मुआवजा नहीं मिलने पर इनायत खां ने न्यायालय में दावा पेश किया। विभिन्न न्यायालयों ने उसके पक्ष में निर्णय दिए। इनायत खां इंतकाल के बाद उसकी पत्नी जोहरा बेगम केस लड़ती रही। जोहरा बेगम के इंतकाल के बाद पुत्री सरफुन्निसा ने मामले को हाथ में लिया। इनायत खां के पोते खालिक खान, मो.वाहिद एवं मो.अजीम खान अपने नाना के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।
निर्णय के तीन माह बाद मिली सूचना-
जानकारी के अनुसार जिला एवं सत्र न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध नगरपालिका शहडोल ने उच्च न्यायालय में अपील प्रस्तुत की। 14 फरवरी 2017 को हाईकोर्ट ने नगरपालिका की अपील खारिज कर स्टेडियम की जमीन खाली करने या फिर भूमि स्वामी के वारिसानों को मुआवजा देने निचली अदालतों के निर्णय पर मोहर लगा दी। बताया गया है कि नगरपालिका के अधिवक्ता ने न्यायालय के निर्णय की सत्यापित प्रतिलिपी तीन माह बाद 9 मई 2017 को नगरपालिका को भेजी। जो नगरपालिका को 16/5/2017 को प्राप्त हुई।
पांच माह से कलेक्टर कार्यालय में दबी फाइल-
स्टेडियम के मामले को लेकर प्रशासन की मुस्तैदी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पांच से यह प्रकरण कलेक्टर कार्यालय की फाइलों में दबा है। बताया जाता है कि नगरपालिका की ओर से 17 मई को कलेक्टर कार्यालय को पत्र लिखा गया था। जिसमें पूरे प्रकरण का ब्यौरा सहित उच्च न्यायालय के निर्णय की कापी भी लगाई गई थी। पांच माह बीतने के बाद भी किसी ने इसकी सुध नहीं ली।
इनका कहना है-
यह मामला मेरे संज्ञान में आया है, शासन से अभिमत लेने कार्यवाही करने संयुक्त कलेक्टर को निर्देश दिए हैं। यह फाइल सोमवार को मेरे समक्ष प्रस्तुत होगी। शासन निर्देश प्राप्त कर आगे की कार्यवाही की जाएगी।
नरेश पाल कलेक्टर शहडोल
Created On :   23 Oct 2017 1:12 PM IST