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भारतीय भाषाएं विश्वगुरू बनने की कुंजी, आर्थिक स्थित के साथ मजबूत होगी हिंदी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। भारत की आर्थिक स्थिति जैसे-जैसे बेहतर होगी उसके साथ हिंदी का भी विकास होगा। अर्थव्यवस्था और हिंदी विषय पर चर्चा के दौरान प्रोफेसर और मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग प्रमुख डॉ करुणाशंकर उपाध्याय ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि तकनीक के विकास का भी सकारात्मक असर हिंदी पर पड़ रहा है। फिलहाल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और आने वाले 15 सालों में हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। जैसे- जैसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति तथा विश्वव्यवस्था के परिचालन में भारत की भूमिका बढ़ेगी वैसे- वैसे हिंदी की उपयोगिता भी बढ़ेगी। भारत हिंदी और भारतीय भाषाओं के अनुप्रयोग द्वारा ही विश्वगुरु और विश्वशक्ति बन सकता है क्योंकि विकास का संबंध स्वभाषा से है। इस दौरान आईडीबीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक शैलेश नाडकर्णी ने कहा कि जिस प्रकार देश की अर्थिक स्थिति में बदलाव और गति आ रही है उसी प्रकार हिंदी भाषा की भी गति बढ़ रही है।
भारत का रूपे कार्ड अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय हो रहा है। बता दें कि संस्था पासबान-ए-अदब द्वारा ऑडिटोरियम, एसपीबीटी कॉलेज प्रांगण में हिंदी दिवस के निमित्त आयोजित अनूभुति- "उत्सव, उत्कृष्ट साहित्य का" कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बॉलीवुड गायक सुखविंदर सिंह उपस्थित थे।आपने हिंदी को सागर और प्रादेशिक भाषाओं को जोड़ने में हिंदी के योगदान का जिक्र करते हुए अपने गाए हुए चुनिंदा गीत भी प्रस्तुत किए जिससे कार्यक्रम में एक अभूतपूर्व उत्साह का संचार हो गया। कार्यक्रम में सेंट्रल बैंक के एफजीएम राजेश कुमार भी उपस्थित थे। संस्था के अध्यक्ष दानिश शेख ने कहा कि हमारे संस्थापक कैसर खालिद ने भारतीय भाषाओं की प्रगति और संवर्धन जो संकल्प उठाया है वह पूरा होता दिख रहा है। जिसका परिणाम है कि आज अधिक संख्या में युवा वर्ग इस मुहिम में जुड़ रहा है।हमारा भविष्य उज्जवल है। हम अपने उद्देश्य में सफल होंगे।
Created On :   26 Sept 2021 6:43 PM IST