- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- माता-पिता से ज्यादा मजबूत नहीं हो...
माता-पिता से ज्यादा मजबूत नहीं हो सकता नानी-पोते का संबंध - हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। नानी और पोते के रिश्ते का बंधन भले ही विशेष होता है लेकिन यह प्रेम बच्चे के नैसर्गिक माता-पिता के स्नेहपूर्ण बंधन का स्थान नहीं ले सकता है। बांबे हाईकोर्ट ने यह बात कहते हुए नानी को अपने 12 साल के पोते को उसके नैसर्गिक माता-पिता को सौपने का निर्देश दिया है। इससे पहले नानी ने कोर्ट में दावा किया था कि बच्चे के माता-पिता के बीच वैवाहिक विवाद चल रहा है। ऐसे में बच्चे की परवरिश व उसके हित के लिहाज से बच्चे को उसके माता-पिता के साथ रखना ठीक नहीं होगा। किंतु खंडपीठ ने इसे अस्वीकार करते हुए नानी को बच्चे को उसके माता-पिता को सौपने का निर्देश दिया। बच्चे के माता-पिता ने बच्चे को उन्हें सौपने का निर्देश देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि बच्चे की मां की तबीयत ठीक न होने के चलते वह 2019 में कुछ समय के लिए नाशिक अपने मायके गई थी। साल 2020 में बच्चा व उसकी मां अपने घर पुणे आने के लिए तैयार हुए लेकिन कोरोना के चलते बच्चे का आना संभव न हो सका। किंतु जब हालात थोड़े सामान्य हुए तो बच्चे के पिता बच्चे को लेने के लिए गए। लेकिन बच्चे की नानी ने बच्चे को उसके पिता के साथ भेजने की बजाय पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी।
मामला दर्ज होने के बाद बच्चे के अभिभावको ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि बच्चे का पूर्ण विकास उसके माता-पिता के साथ ही संभव है। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पाया कि बच्चे के पिता पेशे से इंजीनियर और एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में बड़े पद पर कार्यरत हैं। जबकि नानी उतनी शिक्षित नहीं और उसकी माली हालत भी ठीक नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि भले ही पोते के लिए नानी का प्रेम विशेष है लेकिन वह बच्चे के माता-पिता के स्नेह का स्थान नहीं ले सकता है। खंडपीठ ने नानी को बच्चे को उसके माता-पिता को सौपने का निर्देश दिया।
Created On :   4 March 2021 9:56 PM IST