मूंगफली पर बीमारियों का प्रकोप, किसानों को सता रही चिन्ता
डिजिटल डेस्क, अकोला खेतों में मूंगफली की बुआई करने वाले किसानों को चिंता सताने लगी गई है। मूंगफल्ली पर खोडकुज व मुलकुज नामक बीमारी ने हमला कर दिया है। इन बीमारियों के हमले से फसलों को बचाने के लिए पीकेवी के तेलबीज संशोधन केंद्र की ओर से उपाययोजना बताई गई है। जिसके इस्तेमाल से फसलों को इन बीमारियों से बचाया जा सकता है। ग्रीष्मकालीन फसलों के मौसम में किसानों ने बडे पैमाने पर खेतों में मूंगफली फसल की बुआई की है। वर्तमान स्थिति में किसानों की यह फसल तकरीबन 30 से 60 दिनों की है। खेतों में अंकुरित फसलों पर खोडकुज व मुलकुज (फसल का जड व तना खराब) नामक बीमारी ने हमला कर दिया है। इस बीमारी से फसल को बचाने के लिए मूंगफली फसल पर 60 से 70 दिनों तक देखभाल कर उन्हें बचाया जा सकता है। यह बीमारी जमीन में पाई जाती है। जमीन में यह फूफंदी आने वाले फसल के मौसम तक जिवित रहती है, इस बीमारी का फैलाव दूषित बीज अथवा जमीन से होता है। इस बीमारी के कारण फसल को 25 से 30 प्रतिशत तक का नुकसान होगा। बुआई के पूर्व फूफंदी नामक ट्रायकोडर्मा 4.5 ग्राम व सुडोमोनाज 25 ग्राम प्रतिकिलो इस प्रमाण में बीज प्रकिया अथवा 2.5 ग्राम कार्बेन्डाझीम अथवा 4 ग्राम थायरम फूफंदी नाशक प्रति 1 किलो बीज प्रकिया करने पर फसलों पर इस बीमारी का प्रकोप कम दिखाई देता है। खेतों में बीमारग्रस्त पेड़ों की प्रमुख लक्षण यह है कि बुआई की गई फसल की जड़ों पर सफेद रंग की फूफंदी दिखाई देती है, उसके पत्ते पीले पड़ने लगते हैं, एक समय के बाद पौधा सूख कर गिर जाता है। फसलों पर इनमें से एक भी चिन्ह दिखाई देने पर किसान कार्बोझीन 37.5 प्रतिशत डी एस अथवा कार्बेन्डाझीम 25 ग्राम 10 लीटर पानी में मिलाकर फसलों पर जहां पर यह बीमारी दिखाई दें वहा पर ड्रेनचिंग करे अथवा जैविक फूफंदी नाशक ट्रायकोडर्मा 2.5 किलो प्रति 25 किलो गोबरखाद मिलाकर प्रति हेक्टर जमीन गीली होने पर दे।
Created On :   8 March 2023 1:38 PM IST