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अस्पताल के बाहर महिला तड़पती रही उपचार मिला नहीं, गर्भ में शिशु ने दम तोड़ा
डिजिटल डेस्क जबलपुर । वक्त पर उपचार न मिलने से एक शिशु ने दुनिया में आने से पहले ही दम तोड़ दिया। गर्भवती माँ मार्बल सिटी अस्पताल के बाहर रोती-बिलखती रही, तड़पती रही। इसके बावजूद निजी अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मियों ने उसका इलाज तो दूर, भीतर तक घुसने नहीं दिया। आखिरकार महिला जब तक मेडिकल पहुँचती, गर्भ में पल रहे उसके बच्चे की मौत हो गई। आयुध निर्माणी खमरिया के कर्मचारी जितेन्द्र कुमार की गर्भवती पत्नी मनीक्षी का जीवन अभी भी गंभीर संकट में है। उसे मेडिकल में भर्ती किया गया है। ओएफके की यूनियनों ने इस मामले पर कड़ा आक्रोश जाहिर किया है।
बाहर से ही भगा दिया
निजी अस्पतालों और सीजीएचएस के बीच टाई-अप है, लिहाजा प्राथमिकता से उपचार होना चाहिए। लेकिन इन दिनों ज्यादातर अस्पतालों ने नए मरीजों के लिए अपने गेट बंद कर दिए हैं। श्रमिक नेताओं का आरोप है कि आयुध कर्मी जब पत्नी को लेकर पहुँचा, तो अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें बाहर से ही भगा दिया।
खतरे के 72 घंटे किसी तरह महिला को मेडिकल में भर्ती कराया गया, जहाँ पता चला कि उसके शिशु की मौत हो गई है। दूसरी तरफ महिला के शरीर में पॉइजन फैल गया है, जिससे अगले 72 घंटे ऑब्जरवेशन में रखा गया है। ऐसा बताया जा रहा है कि महिला की हालत नाजुक बनी हुई है।
कलेक्टर को लिखा पत्र
ओएफके लेबर यूनियन के महामंत्री अर्नब दासगुप्ता ने घटना की निंदा करते हुए कलेक्टर को पत्र लिखकर अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की है। लगातार दूसरी बार निजी अस्पताल में इलाज नहीं मिलने से दो मौतों पर फैक्टरी सुरक्षा कर्मचारी अरुण दुबे, आनंद शर्मा, अमित चौबे, अखिलेश पटेल, अनिल गुप्ता, जीजो जैकब, राहुल चौबे, हृदेश यादव, मुकेश विनोदिया ने अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है।
इनका कहना है
अगर ऐसा है, तो मरीज को भर्ती क्यों नहीं किया गया, इसकी जानकारी शनिवार को ही लगेगी। केस को हैंडल करने वाले स्टाफ और प्रबंधन का पहलू जानने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
हर्ष राय, प्रशासनिक अधिकारी, मार्बल सिटी हॉस्पिटल
Created On :   18 April 2020 2:53 PM IST