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28 करोड़ में नीलाम हुई 60 करोड़ रुपए में किसानों से खरीदी गई धान
डिजिटल डेस्क,शहडोल। जिले में किसानों से खरीदे गए धान के भण्डारण में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। जिसके चलते प्रदेश सरकार को घाटे का सौदा करना पड़ा और करोड़ों का घाटा सहते हुए धान को नीलाम करना पड़ा। जिस धान की खरीदी के लिए सरकार की ओर से किसानों को 60 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान करना पड़ा था, उसी धान को 28.98 करोड़ रुपए में नीलाम करना पड़ा। जिसमें शासन को सीधे-सीधे 31.11 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है।
3.21 लाख क्विंटल धान नीलाम-
नागरिक आपूर्ति विभाग के माध्यम से जिले में उपार्जित 3 लाख 21 हजार 730 क्विंटल धान की नीलामी कराई गई है। यह वह धान की वह मात्रा है जो मिलिंग से शेष रह गई थी। वर्ष 2020-21 में जिले में 12 लाख 82 हजार 660 क्विंटल धान की खरीदी किसानों से की गई थी। उस वर्ष 28 फरवरी तक मिलिंग के बाद जो धान बची वह खराब होने लगी थी, जिसे हाल ही में नीलाम किया गया है।
शासन को 31.11 करोड़ का नुकसान-
जो धान नीलाम की गई है उसमें शासन को सीधे तौर पर 31.11 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। गौरतलब है कि वर्ष 2020-21 में धान उपार्जन की दर 1868 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित थी। इस लिहाज से नीलाम की गई धान की खरीदी में सरकार को 60 करोड़ 9 लाख 91 हजार 640 रुपए का भुगतान करना पड़ा था। लेकिन धान की नीलामी 901 से अधिकतम 1211 रुपए प्रति क्विंटल के मान से की गई है, इसके लिए 28 करोड़ 98 लाख 78 हजार 730 रुपए ही शासन को प्राप्त हुआ।
इसलिए करना पड़ा नीलाम-
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार भण्डारित धान को नीलाम करने का निर्णय इसलिए लेना पड़ा क्योंकि धान लगातार खराब हो रही थी। खासकर जो धान ओपन कैप स्टोरेज में रखी गई थी, वह विभागीय कुप्रबंधन के कारण बारिश और धूप में खराब होने लगी थीं। मिलिंग कार्य अपेक्षानुरूप नहीं होने के कारण गोदामों में भी जगह नहीं बची थी। जिस कारण चालू वर्ष में उपार्जित उपज को रखने की जगह नहीं बच रही थी।
नीलामी शासन स्तर से बीते वर्ष उपार्जित धान की नीलामी का निर्णय शासन स्तर का है। धान को खराब होने से बचाने और गोदामों को खाली करना भी वजह है।
(एसपी गुप्ता, प्रबंधक नान)
Created On :   23 Jun 2022 2:38 PM IST