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पैंगोलिन के शिकारियों, तस्करों और दलाल को वन विभाग ने सलाखों के पीछे भेजा
डिजिटल डेस्क सतना। अतिदुर्लभ और विलुप्ति की कगार पर खड़े वन्यजीव पैंगोलिन के शिकार में लिप्त गिरोह का पर्दाफाश करते हुए वन अमले ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। इनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धाराओं के तहत कायमी की गई है। मैहर वन क्षेत्र के एसडीओ श्रीकांत शर्मा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से अमदरा के समीपी गांव रैगवां में पैंगोलिन को बंधक बनाए जाने की सूचना मिल रही थी, जिसकी तस्दीक करते हुए शनिवार शाम को दबिश देकर भइयालाल कोल पुत्र दादूराम कोल और उसके छोटे भाई ठड़कू कोल को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में आरोपियों ने पैंगोलिन को पकडऩे और अमृतलाल कोल पुत्र प्रेमलाल, रामदास चौधरी पुत्र बाबूलाल निवासी मतवारा एवं दलाल सुनील कुमार वर्मन पुत्र जगन्नाथ निवासी रजरवारा क्रमांक-1 थाना विजयराघवगढ़ जिला कटनी के माध्यम से पन्ना के तस्करों को बेच देने का खुलासा किया। सगे भाइयों की निशानदेही पर उक्त तीनों आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपियों के कब्जे से 7 मोबाइल फोन और जीआई वायर जब्त करते हुए पीओआर क्रमांक 22/11 वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9, 39, 40, 44, 48ए, 49, 50 और 51 कायम किया गया। सभी आरोपियों को रविवार दोपहर जेएमएफसी पंकज जायसवाल की कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
पन्ना के जंगलों से पकड़ा, 4 दिन तक घर में रखा
आरोपियों से पूछताछ में पूरा खेल सामने आ गया। वन अधिकारी के मुताबिक तस्करों की मांग पर भइयालाल कोल ने पन्ना के जंगलों में काफी तलाश के बाद पैंगोलिन को पकड़ा और गांव ले आया, जहां उसका छोटा भाई ठड़कू रस्सी से बांधकर रखता और सुबह-शाम जंगल में चराने ले जाता था। दोनों भाइयों ने वन्यजीव को बेचने के लिए पन्ना के तस्करों से संपर्क में रहने वाले अमृतलाल और रामदास से बात की, जिन्होंने मध्यस्थ सुधीर वर्मन को सौदेबाजी की जिम्मेदारी दे दी।
रूपए हाथ में आने से पहले ही लग गई हथकड़ी
कई दिनों की कवायद के बाद लगभग 15 लाख रूपए में बातचीत तय होने पर शनिवार को तस्कर रैगवां आए और पैंगोलिन को लेकर चले गए। इस खेल में शामिल सतना और कटनी के पांचों आरोपियों को ढाई-ढाई लाख रूपए मिलने थे, लेकिन इससे पहले ही वन अमले ने पकड़ लिया। हालांकि तमाम कोशिशों के बाद भी पन्ना के तस्कर हाथ नहीं आए। उनकी घेराबंदी के लिए बड़े पैमाने पर पन्ना वन विभाग से संपर्क साधा गया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 1 करोड़
वन विभाग के एसडीओ ने बताया कि विलुप्त प्रजाति भारतीय पैंगोलिन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 1 करोड़ से ज्यादा है। इसका इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवा बनाने में किया जाता है तो तंत्र-मंत्र में चमड़ी, नाखून आदि का उपयोग किया जाता है। अंधविश्वास में जकड़े लोग इसका मांसा खाने से नपुंसकता दूर होने का दम भरते हैं। इन्हीं भ्रांतियों के चलते तेजी से पैंगोलिन का शिकार किया जा रहा है, जिससे आज वन्यजीव की संख्या बहुत कम रह गई है।
Created On :   24 Feb 2020 11:56 AM GMT