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ऑफलाइन-ऑनलाइन स्कूल के चक्कर में फंसे हैं अभिभावक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना के कारण बच्चों की शिक्षा पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। पिछले दो साल से बंद चल रहे स्कूल अब खुले हैं, तो अभिभावकों के सामने ऑफलाइन, ऑनलाइन पढ़ाई की समस्या खड़ी हो गई है। कुछ स्कूल अभी भी ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखे हैं, जबकि कुछ स्कूल बच्चों को विद्यालय में बुला रहे हैं। स्कूलों का दावा है कि वे कोविड गाइड लाइन का पालन कर रहे हैं। मास्क, सैनिटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है।
लिखित अनुमति जरूरी
जिन अभिभावकों ने स्कूलों को कंसर्न नहीं दिया है, उनके बच्चे ऑनलाइन ही क्लास अटैंड कर रहे हैं। स्कूल खोलने की जिला आपत्ति निवारण प्राधिकरण (डीडीएमए) की गाइड लाइंस में हाइब्रिड मोड में चलाने को कहा है और स्कूल जाने के लिए पैरंेट्स की लिखित अनुमति जरूरी है। प्राइवेट स्कूल फाइनल परीक्षा और प्री बोर्ड एग्जाम ऑफलाइन लेना चाहते हैं। स्कूलों में अब परीक्षा की तैयारी भी चल रही है। परीक्षा ऑफलाइन होंगी या ऑनलाइन, इस पर बहस शुरू हो गई है।
जेब पर पड़ रहा असर
पैरेंट्स का कहना है कि स्कूल सिर्फ ऑफलाइन परीक्षा का विकल्प दे रहे हैं, जबकि अभिभावकों का कहना है कि तीसरी लहर गई नहीं है और नए वैरिएंट का खतरा भी डब्ल्यूएचओ ने दिया है। ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजने से पालक डर रहे हैं। ऑनलाइन और ऑफलाइन स्कूल होने से सबसे ज्यादा उलझन में अभिभावक हैं। दो साल से स्कूल बंद होने से ऑटो और वैन संचालकों के व्यवसाय पर भी असर हुआ है। अब स्कूल खुले हैं, तो ऑटो और वैन संचालकों ने किराया दोगुना कर दिया है, जिससे पालकों की जेब पर भारी पड़ रहा है।
हाइब्रिड टीचिंग शुरू है
बच्चे आना शुरू हो गए हैं। अब हाइब्रिड टीचिंग शुरू है। ट्रांसपोर्टेशन भी शुरू हो गया है। धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ रही है।
-रितु शर्मा, प्रिसिंपल, डीपीएस कामठी रोड
अब रेग्युलर स्कूल शुरू हो गए
पहली से 12वीं तक बच्चों की क्लासेस शुरू हो गई हैं। मार्च में होने वाली परीक्षा ऑफलाइन होंगी। अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हो रहे हैं। हाइब्रिड मोड कुछ दिन चलाना होगा। कुछ अभिभावक रिस्क लेना नहीं चाहते हैं। स्कूल प्रशासन को दोनों ही बातों का ध्यान रखना होगी। ऑफलाइन में सभी को आना होगा।
-रुपाली डे, प्रिसिंपल, मॉडर्न स्कूल
ऑफलाइन के पक्ष में नहीं
सभी स्कूल ऑफलाइन परीक्षा की बात कर रहे हैं। हम ऑफलाइन मोड के पक्ष में नहीं हैं। छोटे बच्चों के स्कूल खुल गए हैं, जिन्हें वैक्सीन भी नहीं लगी है। कई स्कूल बड़े बच्चों को "नो वैक्सीनेशन, नो एग्जाम' का मैसेज भी दे रहे हैं, तो जूनियर बच्चों के लिए वे क्या कहेंगे। एक महीने के लिए क्यों स्कूल खोलना चाहते हैं।
-निशांत चौधरी, अभिभावक
बढ़ा दिया है किराया
सिर्फ एक महीने के लिए स्कूल खोलने का क्या औचित्य है। अभी भी कोरोना का खतरा टला नहीं है। सोमवार से बेटी का स्कूल खुल गया है। उसका ऑटो वाला अब दोगुना किराया मांग रहा है। ऑटो संचालक का कहना है कि कम बच्चों को लेकर जाना महंगा पड़ रहा है। हम अभिभावकों के सामने घोर संकट है।
-वर्षा त्रिपाठी, अभिभावक
Created On :   17 Feb 2022 5:22 PM IST