दिल्ली: ऐतिहासिक एवं निर्णायक श्रम कानूनों के अधिनियमन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए संसद ने तीनों श्रम संहिताओं को पारित किया
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। श्रम और रोजगार मंत्रालय ऐतिहासिक एवं निर्णायक श्रम कानूनों के अधिनियमन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए संसद ने तीनों श्रम संहिताओं को पारित किया ये श्रम संहिताएं कामगारों और उद्योग जगत की आवश्यकताओं में सामंजस्य स्थापित करती हैं तथा कामगारों के कल्याण के लिए मील का पत्थर साबित होंगी : श्री गंगवार नई श्रम संहिताओं के माध्यम से देश में सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास को प्रोत्साहन मिलेगा : श्री गंगवार श्री गंगवार ने इस बात पर बल दिया कि इन श्रम संहिताओं में श्रम कल्याण उपबंधों से संबंधित कई ‘महत्वपूर्ण परिवर्तन’ किए गए हैं नई श्रम संहिताओं में 50 करोड़ से अधिक संगठित, असंगठित तथा स्व-नियोजित कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा आदि का प्रावधान किया गया है। महिला कामगारों को पुरुष कामगारों की तुलना में वेतन की समानता सुनिश्चित होगी गिग और प्लेटफॉर्म कामगारों सहित असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ कामगारों के लिए ‘सामाजिक सुरक्षा कोष’ की स्थापना से सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा दायरे के विस्तार में सहायता मिलेगी श्रमजीवी पत्रकारों की परिभाषा में डिजिटल और इलैक्ट्रानिक मीडिया को शामिल किया जाएगा। गिग तथा प्लेटफॉर्म कामगारों के साथ-साथ बागान कामगारों को भी ईएसआईसी के लाभ प्राप्त होंगे प्रवासी कामगारों की शिकायतों का समाधान करने के लिए हेल्प लाइन की शुरूआत । इन श्रम संहिताओं से सभी संहिताओं के लिए एक पंजीकरण, एक लाइसेंस और एक विवरणी के प्रावधान से एक पारदर्शी, जवाबदेह और सरल कार्यतंत्र की स्थापना होगी। श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने श्रम संहिताओं पर आज राज्य सभा में चर्चा के दौरान कहा कि द्वितीय राष्ट्रीय श्रम आयोग की सिफारिशों के अनुसार हमारी सरकार ने सभी श्रम कानूनों को 4 श्रम संहिताओं में समाहित करने का कार्य वर्ष 2014 में प्रारम्भ कर दिया था। कुल 44 श्रम कानूनों में से 12 श्रम कानून पहले ही निरस्त किए जा चुके हैं। वेतन संबंधी संहिता अगस्त, 2019 में पहले ही संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित की जा चुकी है । उन्होंने कहा कि इस संहिता के माध्यम से हमारी सरकार ने 50 करोड़ श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी तथा समय पर वेतन मिलने का कानूनी अधिकार दिया था । इसी क्रम में अब माननीय सदन के सामने 3 अन्य श्रम संहिताएं लाई जा रही हैं। व्यवसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य संहिता विधेयक, 2020 में 13 श्रम कानून, औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, 2020 में 3 श्रम कानून तथा सामाजिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2020 में 9 श्रम कानून समाहित किए गए हैं। 2. श्रम संहिताओं पर बोलते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री ने कहा कि इन संहिताओं को पहले 2019 में लोक सभा में पेश किया गया था । श्रम संबंधी संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों तथा अन्य सभी हितधारकों के सुझावों के अनुसार इन संहिताओं को महत्वपूर्ण बदलावों के साथ वर्तमान सत्र में लोक सभा में पुन: रखा किया गया और ये तीनों संहिताएं लोक सभा से पारित होने के पश्चात आपके समक्ष विचारार्थ लाई गई हैं। उन्होंने आगे कहा कि श्रम संबंधी संसदीय स्थायी समिति की 233 सिफारिशों में से 74 प्रतिशत सिफारिशों को स्वीकार करते हुए इन संहिताओं को अंतिम रूप दिया गया है। 3. श्री गंगवार ने कहा कि हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का मंत्र रहा है- रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म। माननीय प्रधानमंत्री जी के इसी मंत्र पर अमल करते हुए हमारी सरकार ने 2014 से लेकर अब तक श्रमिकों के कल्याण हेतु अनेक कदम उठाए हैं तथा इन श्रम संहिताओं के माध्यम से समग्र श्रम सुधार का सपना साकार हो रहा है। 4. श्रम मंत्री ने आगे बताया कि ओएसएच संहिता में श्रमिकों को कार्य के लिए एक सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने तथा श्रमिक कल्याण सुनिश्चित करने हेतु प्रावधान शामिल किए गए हैं। इसी प्रकार आईआर संहिता के माध्यम से श्रमिकों के लिए एक प्रभावी विवाद निस्तारण व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। इस संहिता का उद्देश्य है कि प्रत्येक औद्योगिक संस्थान में, चाहे वहां एक ही श्रमिक कार्य कर रहा हो, एक प्रभावी एवं समयबद्ध विवाद निस्तारण प्रणाली उपलब्ध हो। सामाजिक सुरक्षा संहिता, संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को व्यापक सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने का कार्य करेगी । इसमें भवन निर्माण कामगारों के लिए ईपीएफओ, ईएसआईसी, मातृत्व लाभ, ग्रेच्युटी तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा फंड से संबंधित उपबंध शामिल हैं।
Created On :   24 Sept 2020 2:10 PM IST