संकट में मरीज : कुछ विभागों में टेंडर बंद होने से भारी परेशानी

Patients in distress: Due to closure of tender in some departments,face huge trouble
संकट में मरीज : कुछ विभागों में टेंडर बंद होने से भारी परेशानी
संकट में मरीज : कुछ विभागों में टेंडर बंद होने से भारी परेशानी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेडिकल अस्पताल में कुछ विभागों में टेंडर बंद होने से मरीजों को भारी परेशानी हो रही है। इसमें से एक है-इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी। पिछले 2 माह से इस विभाग में टेंडर नहीं दिए जा रहे हैं। इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी में आपातकाल स्थिति में आने वाले मरीजों में लिवर, स्ट्रोक, थ्रोंबोस की शिकायतें होती हैं। इस बीमारी में आर्टरी और वेन्स यानी (धमनी और शिराएं) से ही जुड़ी समस्या होती है। चूंकि रक्तस्राव अंदरूनी अंगों में होता है, इसलिए उनका समय रहते बंद होना जरूरी होता है। अन्यथा मरीज की जान खतरे में पड़ सकती है। इसके इलाज की प्रक्रिया बहुत महंगी होती है। मेडिकल में यह इलाज महात्मा ज्योतिबा फुले और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत किया जाता है। इसमें पहले इलाज का कोटेशन तैयार होता है और फिर उसके अनुसार उपकरणों की सूची बनती है। इसके बाद कंपनी को टेंडर दिया जाता है। कंपनी की ओर से सामान आता है और फिर मरीज का इलाज किया जाता है। बिल की राशि योजना के तहत वापस अस्पताल को मिलती है। 

इलाज के बाद भी परेशानी

रक्तस्राव बंद नहीं होने पर दूसरे अंग में खून जमा होता जाता है, इससे वह अंग भी प्रभावित होता है। खून की भी कमी होने लगती है। इसके इलाज में कम से कम डेढ़ लाख रुपए का खर्च आता है। यह सबसे कम है। सामग्री के अनुसार खर्च भी बढ़ जाता है और इलाज होने के बाद भी पीछा नहीं छुटता,  2-3 साल में फिर परेशानी आती ही है। इस प्रकार परेशानी लगातार चलती रहती है।

दो माह में आपात स्थिति में करीब 30 से 45 मरीज आए हैं। इलाज नहीं होने की सूरत में इनकी जिंदगी भगवान भरोसे है। मेडिकल में यह सुविधा थी। मेयो में महात्मा ज्योतिबा फुले योजना के तहत इसका इलाज नहीं होता, मगर निजी अस्पतालों में महंगा इलाज होने के कारण कोई विकल्प भी नहीं। हड्डी रोग विभाग में इंप्लांट्स के टेंडर बंद हो गए हैं।

3 दिन पहले ही 2 घटनाएं

तीन दिन पूर्व ही दो मरीजों को इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा। एनेस्थेसिया देते समय एक मरीज के अंदरूनी अंगों में रक्तस्राव होने लगा। कुछ ही दिन बाद खून फेपड़े में जमा होने लगा। इस दौरान करीब 3 लीटर खून उसके शरीर से निकल गया। यह पूरी स्थिति सीटी स्कैन में सामने आई।  उसे तुरंत इलाज की जरूरत थी, लेकिन टेंडर नहीं होने और सामान नहीं होने के कारण उसका इलाज नहीं हो सका। इसी तरह एक और मरीज के शरीर के निचले हिस्से में रक्तस्राव हो रहा था, जिसे थ्रोंबोस कहते हैं। उसे भी सही इलाज नहीं मिल सका। 

टेंडर प्राइज बिड खुल गई है

डॉ. सुधीर गुप्ता, अधिष्ठाता, शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल के मुताबिक पहले टेंडर निकाले गए थे, जिसमें कंपनी वैलिड नहीं थी, इसलिए टेंडर नहीं दिए। अभी फिर से टेंडरिंग की गई और प्राइज बिड खुल गई है। अब तुलना कर रहे हैं। इसके बाद हो जाएगा। 

 

Created On :   11 July 2021 5:31 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story