मेडिकल में फ्लोर बेड पर मरीज, विक्टोरिया में अन्य वार्डों में भी भर्ती होंगे वायरल और डेंगू पीडि़त

Patients on floor beds in medical, viral and dengue victims will also be admitted to other wards in Victoria
मेडिकल में फ्लोर बेड पर मरीज, विक्टोरिया में अन्य वार्डों में भी भर्ती होंगे वायरल और डेंगू पीडि़त
वायरल और डेंगू के अटैक ने शहर की सेहत बिगाड़ दी मेडिकल में फ्लोर बेड पर मरीज, विक्टोरिया में अन्य वार्डों में भी भर्ती होंगे वायरल और डेंगू पीडि़त


डिजिटल डेस्क जबलपुर। कोरोना की दूसरी लहर के वक्त अस्पतालों में बिस्तरों की कमी से जूझते मरीजों की तस्वीरें आज भी सबके जहन में हैं और अब एक बार फिर शहर के अस्पतालों में वही नजारा दिखाई देने लगा है, लेकिन इस बार कारण कोरोना नहीं है। वायरल और डेंगू के अटैक ने शहर की सेहत बिगाड़ दी है। घनी बस्तियों और पिछड़ेे इलाकों के साथ पॉश एरिया भी वायरल की चपेट में हैं। घर-घर में लोग बुखार, सर्दी, जुकाम, निमोनिया और डेंगू से पीडि़त हैं। आलम यह है कि अस्पतालों में जगह कम पडऩे लगी है। शासकीय अस्पतालों में तो पहले से ही बेड मिलना मुश्किल हो रहा था, अब निजी अस्पतालों में भी यही स्थिति बनी है। एक-एक बिस्तर के लिए सिफारिशें लगानी पड़ रही हैं, लेकिन निराशा ही हाथ लग रही है। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल मेडिकल कॉलेज में जगह नहीं है, मरीजों को भर्ती करने फ्लोर बेड लगाए गए हैं। जिला अस्पताल में भी फ्लोर बेड लगाने की नौबत आने के बाद अन्य वार्डों के बिस्तरों का अधिग्रहण किया गया है। निजी अस्पतालों में भी क्षमता से अधिक मरीज हैं। मरीज के परिजन प्लेटलेट्स के लिए परेशान हैं। बुधवार को सरकारी रिकॉर्ड में 12 नए डेंगू मरीज मिले, जिन्हें मिलाकर कुछ संख्या 236 हो गई है।
एलाइजा टेस्ट की जगह किट से जाँच
वायरल के साथ डेंगू के मरीज बढ़े हैं, लेकिन निजी अस्पतालों ने डेंगू के नाम पर मरीजों को डराना शुरू कर दिया है। डेंगू की जाँच के लिए एंटीजन किट का सहारा लिया जा रहा है, जबकि पुख्ता परिणाम सिर्फ एलाइजा टेस्ट से ही हासिल होता है। एंटीजन किट से हुई जाँच पॉजिटिव आते ही मरीज को डेंगू पॉजिटिव बताकर इलाज शुरू कर दिया जाता है, जबकि किट की सटीकता 50 फीसदी ही होती है। कई निजी अस्पताल एलाइजा टेस्ट के लिए सैम्पल भेजते ही नहीं हैं।
दवा का नियमित छिड़काव नहीं
डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में कीटनाशकों और अन्य दवाओं के छिड़काव की जिम्मेदारी नगर निगम की है, लेकिन सिर्फ प्रभावित क्षेत्र में ही दवा छिड़काव कर इतिश्री कर ली जा रही है, जबकि अब पूरे शहर से मरीज मिल रहे हैं, लेकिन नगर निगम की फॉगिंग मशीनें कहीं नजर नहीं आतीं।
डीवीडी और हड्डी वार्ड में भर्ती होंगे वायरल के मरीज
विक्टोरिया अस्पताल में बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए डीवीडी वार्ड और हड्डी वार्ड को भी वायरल और डेंगू के मरीजों के लिए अधिकृत कर लिया गया है। सिविल सर्जन डॉ. आरके चौधरी ने बताया कि वार्डों के अधिग्रहण के अलावा नर्सिंग हॉस्टल में भी मरीजों को भर्ती करने की तैयारी है। बच्चा वार्ड में 20 बेड बढ़ाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा रांझी अस्पताल में भी वायरल के लिए 5 बिस्तरों का वार्ड बनाया गया है।

मेडिसिन डिपार्टमेंट फुल

मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन डिपार्टमेंट में कोई भी बेड खाली नहीं है। यहाँ फ्लोर बेड लगाकर मरीज उपचार करा रहे हैं। बच्चा वार्ड भी फुल है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेश तिवारी ने बताया कि सर्दी, खांसी, बुखार, निमोनिया के अलावा हार्ट के मरीज भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं। कोरोना काल में जो सर्जरी टल गई थीं, उसके लिए भी लोग फिर पहुँचने लगे हैं। शीर्ष प्रबंधन से चर्चा के बाद और अन्य वार्डों के बेड अधिग्रहित किए जा सकते हैं।

बिना मच्छरदानी के भर्ती डेंगू के मरीज

जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. राकेश पहारिया ने अपनी टीम के साथ बुधवार को कुछ निजी अस्पतालों का निरीक्षण कर डेंगू के मरीजों के बारे में जानकारी हासिल की, जिसमें यह बात सामने आई कि कई अस्पतालों द्वारा किसी भी मरीज का एलाइजा टेस्ट नहीं कराया गया, सिर्फ किट की जाँच के आधार पर डेंगू पॉजिटिव बता दिया गया। कुछ मरीजों का इलाज तो केवल लक्षण के आधार पर शुरू कर दिया गया। यह देखा गया कि डेंगू पॉजिटिव और संदिग्ध मरीज बिना मच्छरदानी के ही वार्ड में भर्ती हैं, जबकि प्रोटोकॉल के मुताबिक इन मरीजों को मच्छरदानी में रखना चाहिए।

Created On :   2 Sept 2021 12:20 AM IST

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