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नगर निगम कटनी के सीमा विस्तार का रास्ता साफ- सभी आपत्तियां खारिज

डिजिटल डेस्क कटनी ।नगर निगम कटनी में सीमावृद्धि का रास्ता कलेक्टर ने साफ करते हुए शासन स्तर पर अपनी रिपोर्ट भेज दी है। जिसके बाद उस आशंका से बादल हट गए हैं। जिसे लेकर अभी तक यह कहा जाता रहा कि निकाय सीमा में वृद्धि का प्रस्ताव टाल दिया गया है। वर्तमान में नगरीय सीमा का कुल क्षेत्रफल 6857 वर्ग किलोमीटर है। यदि शासन स्तर से निकाय सीमा में वृद्धि को हरी झण्डी मिलती है, तो इसमें 6919.25 हेक्टेयर क्षेत्रफल की वृद्धि होगी।
आपत्ति किया खारिज
इस संबंध में शामिल किए जाने वाले ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने आपत्ति भी जताई थी। गुलवारा के लोगों ने विकास नहीं होने और .करों में वृद्धि की आशंका जताई थी। इसके साथ ग्राम बाईपास के बाहर होने एवं ग्राम में खेती का रकवा अधिक होने से पशुपालन का कार्य भी प्रभावित होने की बात कही थी। इसके साथ दस ग्राम पंचायत के लोगों ने भी इसी तरह की आपत्ति जताई थी। ग्राम पंचायत कैलवारा के लोगों ने कहा था कि इससे सरपंच, उपसरपंच, पंचों का कोई औचित्य नहीं होगा। इससे विकास कार्य प्रभावित होंगे। कलेक्टर ने ये सभी आपत्तियां यह कहकर खारिज कर दी कि इसका कोई विधिक आधार नहीं है।
यह रहा सीमा का प्रस्ताव
नगरीय सीमा में वृद्वि को लेकर दस ग्राम पंचायतों के करीब सोलह गांवों को इसमें शामिल किया गया था। जिसमें चाका पंचायत के चाका, लमतरा, घटखिरवा और कैलवारा खुद के कैलवारा, टिकरिया, जुहला संपमर्ण राजस्व ग्राम, मझगंवा फाटक संपूर्ण राजस्व ग्राम, हिरवारा संपूर्ण राजस्व ग्राम, कछगंवा के देवरी पीरबाबा, कछगंवा को शामिल यिका गया था। इसी तरह से इमलिया संपूर्ण राजस्व ग्राम, गुलवारा संपूर्ण राजस्व ग्राम, पिपरिया के पिपरिया और गाताखेडा तथा छहरी के संपूर्ण राजस्व ग्राम को इसमें शामिल किया गया था।
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कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।