आधी रात मुम्बई से आये लोग पैदल ही छग जाने को हुए मजबूर

People coming from Mumbai at midnight were forced to leave on foot
आधी रात मुम्बई से आये लोग पैदल ही छग जाने को हुए मजबूर
आधी रात मुम्बई से आये लोग पैदल ही छग जाने को हुए मजबूर

डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)। दिन मंगलवार, स्थान कोतवाली चौक, समय देर रात करीब साढ़े 12 बजे। कोतवाली चौक से आम्बेडकर चौक की ओर जाने वाले रास्ते पर चूनकुमारी स्टेडियम की ओर से तीन लड़के एक साथ पैदल जा रहे थे। तीनों के कंधे और हाथ में बैग थे, तभी रास्ते में एक व्यक्ति को देखकर इन लड़कों ने पूछा कि छत्तीसगढ़ की ओर कौन सा रास्ता जाता है? आधी रात तीनों को देखकर वह युवक चौक उठा, उसने पूछा कि तुम लोग कौन हो और इतनी रात में छत्तीसगढ़ कैसे जाओगे? जिस पर तीनों युवकों में से एक ने बताया कि तीनों लोग मुम्बई से आये हैं। रीवा तक ट्रेन से आये थे और वहां से वैढऩ में राजमाता चूनकुमारी स्टेडियम तक बस से आये हैं। अब वैढऩ से बार्डर पार छत्तीसगढ़ में अपने घर जाना है, लेकिन स्टेडियम में बोल रहे हैं कि रात में कोई बस नहीं मिलेगी। दिन में भी छत्तीसगढ़ तरफ के लिये बस कब तक में मिलेगी, कुछ कन्फर्म नहीं कह सकते हैं। इसके बाद भी तीनों रात स्टेडियम में गुजारने का मन बनाया, लेकिन वहां रात में ठहरने के लिये कोई ढंग की व्यवस्था नहीं थी। इसलिये तीनों ने रातभर परेशान होकर स्टेडियम में ठहरने के बजाए, रात में पैदल ही अपने घर जाने का निर्णय किया। आलम यह रहा कि इसी दौरान ऐसे ही तीन और लड़के भी पीछे-पीछे आ रहे थे। ये तीनों बार्डर पार छत्तीसगढ़ तो नहीं जिले में ही मकरोहर तक जा रहे थे, लेकिन इनके लिये भी रात में जिला प्रशासन द्वारा वाहन की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। जिसके कारण ये सभी रात के अंधेरे में ही पैदल अपने घर जाने को मजबूर थे। ऐसे में यह सवाल उठता है कि रात के अंधेरे में लंबी दूरी तय कर रहे इन युवाओं के साथ अगर कोई अप्रिय घटना घटित होती है तो फिर इसका जिम्मेदार कौन होगा? वहीं इन हालातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मजदूरों और मजबूरों को उनके घर तक सुरक्षित ढंग से पहुंचाने के शासन-प्रशासन के किस तरह के प्रयास चल रहे हैं।
विदिशा जाने के लिये इंतजार करते रहे 8 लोग
मंगलवार को 8 मजदूर विदिशा में अपने जाने के लिये सुबह से चूनकुमारी स्टेडियम में मदद का इंतजार करते रहे। दरअसल, ये सभी लोग आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा से आकर मजदूरी का कार्य करते थे। कोरोना संकट के कारण काम बंद होने से ये सभी अपने घर जाने के लिये निकले थे, लेकिन वहां से जिस बस में यह बैठे थे, उस बस ने इन्हें छत्तीसगढ़ पहुंचा दिया। इसके बाद छत्तीसगढ़ से इन सभी को जिले के बार्डर पर छोड़ दिया गया। 
 

Created On :   22 May 2020 10:29 AM GMT

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