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राशन कार्ड होने के बाद भी नहीं मिलता राशन, जानें क्या है पूरा मामला ?
डिजिटल डेस्क कटनी। खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत मिलने वाला एक रुपये किलो गेहूं, चावल गरीबों के लिए अभी भी मृगमरीचिका बना है। नीले रंग के बीपीएल कार्ड लेकर गरीब खाद्यान्न के लिए उचित मूल्य दुकानों और पंचायत कार्यालयों से लेकर अधिकारियों तक भटक रहे हैं पर खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है। जिले की बहोरीबंद ग्राम पंचायत के आदिवासी परिवारों को तीन साल से खाद्यान्न नहीं मिला है। इसकी शिकायत लेकर महिलाएं मंगलवार को खाद्य आपूर्ति कार्यालय पहुंचीं। यहां से भी उन्हे कोई समाधानकारक उत्तर नहीं मिला।
राशन कार्ड भी फट गए-
बहोरीबंद निवासी दशोदा बाई आदिवासी, राधा बाई आदिवासी, सुमन बाई एवं घसिटिया बाई फटे-चिथे राशन कार्ड लेकर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कार्यालय पहुंचीं। महिलाओं ने बताया कि उन्हे उचित मूल्य दुकान से तीन साल से खाद्यान्न नहीं मिल रहा है।एक रुपये किलो गेहूं, चावल गरीबों के लिए अभी भी मृगमरीचिका बना है। महिलाओं के अनुसार बहोरीबंद में ऐसे कई परिवार हैं जिन्हे बीपीएल कार्ड होने के बाद भी राशन नहीं मिल रहा है। सरपंच, सचिव ठीक से कोई जवाब नहीं देते हैं। कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी ने महिलाओं के राशन कार्ड में लगी पात्रता पर्चियों के नम्बर के आधार पर नई पात्रता पर्चियां प्रिंट करने का प्रयास किया लेकिन उस नम्बर की पर्चियां कम्प्यूटर में शो ही नहीं कर रही थीं। गरीबी रेखा का कार्ड है पर अनाज नहीं मिल पा रहा इस कारण बहोरीबंद के कई परिवार खाद्यान्न से वंचित हो गए है ।अधिकारी ने महिलाओं के राशन कार्ड में लगी पात्रता पर्चियों के नम्बर के आधार पर नई पात्रता पर्चियां प्रिंट करने का प्रयास किया लेकिन उस नम्बर की पर्चियां कम्प्यूटर में शो ही नहीं कर रही थीं।
इनका कहना है-
ग्राम पंचायत बहोरीबंद की कुछ महिलाएं बीपीएल कार्ड लेकर आई थीं, महिलाओं ने खाद्यान्न नहीं मिलने की शिकायत की है। महिलाओं की शिकायत पर संबंधित पंचायत के सरपंच, सचिव से जानकारी ली जाएगी।
के.एस.भदौरिया प्रभारी जिला आपूर्ति अधिकारी
Created On :   3 Jan 2018 1:13 PM IST