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लालटेन में जी रहे "फुलझरी' गांव के लोग, नहीं पहुंची बिजली
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र जैसे विकासशील प्रदेश की उपराजधानी नागपुर से सटे एक गांव में आजादी के 73 साल बाद भी बिजली नहीं। यह स्थिति तब है, जब नागपुर जिले से लगातार दो ऊर्जामंत्री महाराष्ट्र को मिले हैं। इस गांव में मोबाइल का नेटवर्क तक नहीं मिलता है। नेटवर्क के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। यहां न पक्की सड़क है और न पक्के मकान। लकड़ी से निर्मित कच्चे मकानों में लोग रहते हैं। विशेष यह कि सरकार ने यहां के नागरिकों को राशन कार्ड, आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र तक दिए हैं। हर चुनाव में ये वोट भी देते हैं। इसके बावजूद सरकार बिजली देने से इनकार कर रही है।
25 साल से सिर्फ चर्चा
सबसे बड़ी दिक्कत बिजली की है। सरकारी रिकार्ड में इसकी वजहें भी अजीब बताई गई है। कभी अतिक्रमण, तो कभी पुनर्वसन-गांव को बिजली से वंचित रखा गया। पिछले 25 साल से इनके पुनर्वसन की चर्चा है। लेकिन सरकार आज तक इनके पुनर्वसन का मामला सुलझा नहीं पाए हैं। पुनर्वसन के नाम पर आज तक इन्हें बिजली से दूर रखा गया। इस गांव के लोग रात के अंधेरे में डर से बाहर नहीं निकलते। शाम ढलने से पहले गांव पहुंच जाते हैं।
चेतावनी... इस बार तीव्र आंदोलन
फुलझरी गांव में बिजली आपूर्ति करने की मांग को लेकर अनेक बार बिजली विभाग और जिलाधिकारी को निवेदन दिया गया। बुधवार को भी इस संबंध में मनसे ने महावितरण के मुख्य अभियंता, ग्रामीण को निवेदन सौंपा। अनुरोध के साथ तीव्र आंदोलन की चेतावनी भी दी। निवेदन में यह भी बताया गया कि स्थानीय उपविभागीय कार्यालय से अनेकों बार पत्र-व्यवहार किया गया, लेकिन कोई गंभीरता नहीं दिखी। पत्र-व्यवहार पर आगे क्या कार्यवाही हुई, इस संबंध में भी बताने की जहमत नहीं उठाई गई। मनसे के स्थानीय नेता शेखर दुंडे ने कहा कि आगामी 8 दिनों में उचित निर्णय लेकर संबंधित कार्यालय द्वारा विद्युत व्यवस्था नहीं की जाती है तो अनोखे तरीके से आंदोलन किया जाएगा।
पुनर्वसन भी नहीं किया जा रहा
ऊर्जा विभाग के कुछ अधिकारियों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि गांव पुनर्वसन में गया है, लेकिन पुनर्वसन भी नहीं किया जा रहा है। पुनर्वसन होगा, तब होगा, लेकिन पहले गांव को बिजली तो दें। अनेक समस्याओं के साथ रात के समय जंगली जानवरों का सामना कर वे लोग जान पर खेलकर गांव में जी रहे हैं। गांव को त्वरित राहत देने की जरूरत है।
-हेमंत गडकरी, प्रदेश महासचिव, मनसे
नियमानुसार नहीं दे सकते बिजली
फुलझरी गांव वनक्षेत्र में आता है। इस गांव का पुनर्वसन हिवरा बाजार गांव के समीप हो चुका है। प्रशासन की तरफ से नोटिस देकर गांव खाली करने की कोशिश की जा रही है। कई लोग वहां से गए आैर कुछ लोग अभी भी वहीं पर हैं। उस गांव में बिजली नहीं होने की खबर मुझे भी है। प्रोजेक्ट के कारण इस गांव का दूसरी जगह पुनर्वसन किया गया है, इसलिए नियमानुसार यहां घरेलू बिजली के कनेक्शन नहीं दिए जा सकते। --अजिंक्य मोहिले, सहायक अभियंता, पवनी सब स्टेशन महावितरण
300 आबादी का गांव
हम बात कर रहे हैं रामटेक तहसील के फुलझरी गांव की। महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश की सीमा पर बसे आदिवासी बहुल फुलझरी गांव की 300 आबादी है। करीब 50-60 मकान हैं। घने जंगल के भीतर 5 किलोमीटर अंदर यह गांव है। एक स्कूल है, लेकिन शिक्षक कभी जाते नहीं। स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने के लिए गांव के लोगों को पवनी तक 22 किलोमीटर दूर आना पड़ता है।
Created On :   4 Dec 2020 10:43 AM IST