मुफ्त की लकड़ियां पाने पांच किलोमीटर दूर जाकर अंतिम संस्कार करते हैं इस गांव के लोग

People of village going five kilometers for funeral to get free things
मुफ्त की लकड़ियां पाने पांच किलोमीटर दूर जाकर अंतिम संस्कार करते हैं इस गांव के लोग
मुफ्त की लकड़ियां पाने पांच किलोमीटर दूर जाकर अंतिम संस्कार करते हैं इस गांव के लोग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गांव के दहनघाट पर मुफ्त नहीं मिलती है सामग्री, जिससे खफा लोग मुफ्त की लकड़ियां पाने पांच किलोमीटर दूर जाकर अंतिम संस्कार करते हैं। बहादुरा गांव में आजादी के बाद कच्चा दहनघाट था। बाद में इस जमीन पर कुछ लोगों ने मकान बनाकर रहना शुरू किया। 70 के दशक से दहनघाट गायब हो चुका है। गांव या गांव की सीमा के बाहर कहीं भी दहनघाट बनाया नहीं गया, न ही इस दिशा में कोशिश की गई। इस गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर खरबी गांव है। ग्रामीणों की सुविधा के लिए यहां दहन घाट बनाया गया है लेकिन पिछले पांच साल में यहां नाममात्र अंत्येष्टि क्रिया ही की गई है। इसकी वजह यह है कि ग्रामीणों को अंत्येष्टि क्रिया करवाने की सामग्री मुफ्त में चाहिए। इसलिए ग्रामीण मृतक की अंत्येष्टि के लिए पांच किलोमीटर दूर शहर के दिघाेरी दहनघाट आते हैं। इस घाट पर नागपुर महानगर पालिका की ओर से अंत्येष्टि की सामग्री मुफ्त में दी जाती है।

कर लिया अतिक्रमण

उमरेड रोड पर बसा बहादुरा गांव विकास की मुख्य धारा में शामिल होने लगा है। एक समय में लोग वहां तक आने-जाने में संकोच करते थे, लेकिन अब वहां बदलाव दिखायी देने लगा है। इस गांव पर भी अत्याधुनिकता का कलेवर चढ़ने लगा है। लेकिन तमाम सुविधाओं से भरपूर इस गांव की विडंबना है कि यहां दहनघाट ही नहीं है। आजादी के बाद गांव छोटा था। उस समय गांव के पास ही एक कच्चा दहनघाट बनाया गया था। सूत्रों के अनुसार यह जमीन एक से डेढ़ एकड़ थी। 1970 से यहां एक-एक कर लोगों ने घर बनाने शुरू कर दिए। करीब 20 से अधिक लोगों ने दहनघाट की जमीन पर अतिक्रमण कर लिया। ग्रामपंचायत और प्रशासन ने उनकी मजबूरी को देखते हुए हटाने का प्रयास नहीं किया। इस कारण अब वे स्थायी रूप से बस चुके हैं।

दहनघाट बनाने के लिए जमीन नहीं

ग्रामपंचायत के एक पूर्व सरपंच ने बताया कि गांव में या गांव की सीमा से सटकर कहीं भी दहनघाट बनाने के लिए जमीन नहीं है। इसलिए यहां दहनघाट नहीं बन पाया है। ग्रामीणों की इस समस्या को देखते हुए ग्रामपंचायत ने बहादुरा से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित खरबी ग्राम में दहनघाट बनाया है। पांच साल पहले करीब एक लाख रुपए खर्च कर इसका निर्माण किया गया। इस ग्राम में पहले पुराना दहनघाट था। यह घाट बदहाल होने के कारण पास में ही नया बनाया गया है लेकिन घाट का नियमित रखरखाव नहीं होने से अब यह भी बदहाली का शिकार हो चुका है। इस घाट के चारों ओर पेड़-पौधे उग आये हैं। घाट तक जाने के लिए रास्ता तक नहीं है। बिजली, पानी, प्रसाधन गृह भी नहीं है। खरबी ग्राम के लाेगों के अनुसार इस घाट पर पिछले पांच साल में पांच-छह अंत्येष्टि क्रिया ही हुई है। भविष्य में बहादुरा में दहन घाट बनाने की कोई योजना नहीं है।

मुफ्त की सामग्री के लि दिघोरी दहनघाट 

बहादुरा में दहनघाट नहीं है, इसलिए ग्रामपंचायत ने खरबी ग्राम में दहन घाट बनाकर दिया लेकिन ग्रामीण अंत्येष्टि क्रिया करने वहां नहीं जाते। ग्रामीण डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करने की बजाय पांच किलोमीटर दूर दिघोरी दहनघाट को प्राथमिकता देते हैं। इसके पीछे वजह यह है कि खरबी में मृतक की अंत्येष्टि के लिए आवश्यक सामग्री नहीं मिल पाती। संबंधितों को सारी व्यवस्था अपने खर्चे से करनी पड़ती है। खरबी से शहर आकर सामग्री का जुगाड़ करना पड़ता है। जबकि दिघोरी दहनघाट पर अंत्येष्टि क्रिया के लिए आवश्यक सामग्री आसानी से उपलब्ध होती है। 
 

Created On :   29 May 2019 5:58 PM IST

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