दुनियाभर में बैन कीटनाशकों को कृषी विभाग का पोर्टल बता रहा उपयोगी 

pesticides are explaining as good by agriculture department
दुनियाभर में बैन कीटनाशकों को कृषी विभाग का पोर्टल बता रहा उपयोगी 
दुनियाभर में बैन कीटनाशकों को कृषी विभाग का पोर्टल बता रहा उपयोगी 

डिजिटल डेस्क, नासिक/येवला। जिन खतरनाक कीटनाशकों पर दुनियाभर में बैन लगा है। उसी कीटनाशकों को कृषी विभाग का पोर्टल उपयोगी बता रहा है। पोर्टल में एन्डोसल्फान 35 ईसी और  फास्फोमिडान 85 प्रतिशत प्रवाही के छिड़काव की सलाह दी गई है। जिसमें एन्डोसल्फान नामक कीटनाशक को दुनिया के कई देशों ने बैन किया है। इसके मद्देनजर साल 2014 को इसे भारत में भी प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसके बावजूद प्याज, पत्तागोबी, फूलगोबी की फसल को कीड़ों से बचाने के लिए इन कीटकनाशकों के इस्तेमाल की सलाह दी गई है।

इसी तरह अनार की फसल को कीड़ों से बचाने के लिए लिंडेन के इस्तेमाल की जानकारी दी गई, जब्कि साल 2011 में ही सरकार ने उसपर पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद भी  पोर्टल पर इनके छिड़काव की सिफारिश देखी जा सकती है। इसके अलावा कार्बोफ्युरान 50 प्रतिशत, पानी में घोलनेवाले पॉवडर होता है। जिसपर बैन लगा है, इसके बावजूद कार्बोफ्युरान  3 प्रतिशत पर कोई पाबंदी नही है। जब्कि विदेश में इसके इस्तेमाल पर रोक लगी है। लेकिन पोर्टल में मक्का और गेंहू की फसल पर इसके उपयोग  की सलाह दी गई है।

गलती से हुई प्रकाशित! 

येवला के तहसील कृषी अधिकारी अभय फलके का कहना है कि विभाग के पास फसल पर संक्रमण रोकने के लिए  कृषी विश्वविद्यालय से सिफारिशें आती हैं। जो वेबसाईट पर प्रकाशित होती हैं। लेकिन जिन कीटनाशकों का जिक्र है, वो पाबंदी लगाने से पहले प्रकाशित हुए होंगें। उन्होंने कहा कि इसे लेकर पंचायत समिति के कृषी अधिकारी सही जानकारी दे सकते हैं। क्योंकि गुणवत्ता नियंत्रण का कार्य उनके अधिकारक्षेत्र में होता है।  

उधर पंचायत समिती के कृषी अधिकारी प्रशांत वास्ते ने बताया कि कृषी विभाग की वेबसाईट एनआईसी के माध्यम से बनाई गई है। जिनके पास विश्वविदयालय से प्राप्त पुरानी जानकारी दी गई होगी। इसलिए गलती से बैन कीटनाशकों की जानकारी वैबसाईड पर प्रकाशित हुई होगी।  

लापरवाही हुई जग जाहिर

कीटनाशकों छिड़काव से अबतक कई किसानो-मजदूरों को जान गंवानी पड़ी है। जिसके बाद सरकार संबंधित विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के मूड में हैं। एसे में विभाग के पोर्टल पर उन कीटनाशकों का प्रचार देखा गया, जिन पर सात साल पहले ही पाबंदी लगाई गई थी। इससे कृषि विभाग की लापरवाही जग जाहिर हो रही है।

Created On :   10 Oct 2017 8:07 PM IST

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