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परमबीर सिंह को लगा झटका, दलील से सहमत नहीं हुई अदालत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने माना कि राज्य सरकार की ओर से प्रारंभिक जांच को लेकर जारी दो आदेशों को चुनौती देनेवाली सिंह की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। चूंकि याचिका में सिंह ने सेवा से जुड़े विषय को उठाया है। इसलिए वे इस मामले को लेकर केंद्रीय प्राशासकीय न्यायधिकरण (कैट) के सामने पहले अपनी बात रखें। क्योंकि यह विषय कैट के दायरे में आता है। हाईकोर्ट ने सिंह के उस दावे को भी अस्वीकार कर दिया है, जिसमें सिंह ने कहा था कि मैंने राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इसलिए राज्य सरकार ने मेरे खिलाफ जांच के निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया हमें पुलिस निरीक्षक अनूप डागे की शिकायत के मद्देनजर हमें सिंह का यह दावा सहीं नहीं लग रहा है, जिसमें सिंह ने कहा है कि मैंने राज्य के पूर्व गृहमंत्री के खिलाफ आरोप लगाए हैं। इसिलए मेरे खिलाफ जांच के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस अधिकारी डागे ने सिंह के खिलाफ फरवरी 2021 में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इस तरह से हाईकोर्ट में सिंह को झटका लगा है।
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में सिंह ने जिन मुद्दों को उठाया है। उसके लिए कैट उपयुक्त फोरम है। वे वहां पर अपनी बात रखें। खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि यदि सिंह कैट के सामने आवेदन दायर करते हैं, तो कैट हाईकोर्ट के इस आदेश से प्रभावित हुए बिना मामले की सुनवाई करे।
याचिका में सिंह ने राज्य सरकार की ओर से जारी दो आदेशों को भी चुनौती दी थी। जिसमें पहला आदेश एक अप्रैल 2021, जबकि दूसरा आदेश 20 अप्रैल 2021 को जारी किया गया था। जिसके तहत राज्य के पुलिस महानिदेशक संजय पांडे को सिंह के खिलाफ प्रारंभिक जांच करने को कहा गया था। पहला आदेश राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने जारी किया था। जबकि दूसरा आदेश मौजूदा गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने जारी किया है। पहले आदेश के तहत सिंह के खिलाफ ड्यूटी की उपेक्षा करने के आरोपों की जांच करने के लिए कहा गया था। वहीं दूसरे आदेश में सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के निर्देश दिए गए थे।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता डेरिस खंबाटा ने दावा किया था। सिंह ने याचिका में सेवा से जुड़े मुद्दे को उठाया गया है। इसलिए इस याचिका पर सुनवाई न की जाए। यह मामला कैट के दायरे में आता है। इसके अलावा राज्य के पुलिस महानिदेशक की अगुआयी में सिंह पर लगे आरोपों की जांच होनेवाली थी। पांडे ने खुद को इस मामले की जांच से दूर कर लिया है। इसलिए अब यह याचिका अर्थहीन हो गई है। हालांकि बाद में राज्य सरकार ने जांच की कमान पुलिस महानिदेशक (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) व अतिरिक्त सचिव (गृह विभाघ) को सौंपी थी।
वहीं सिंह की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने खंडपीठ के सामने दावा किया था, जांच के आदेश जल्दबाजी में दिए गए हैं। यह आदेश जारी करते समय विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया। उन्होंने जांच के आदेश को अवैध व मनमानीपूर्ण बताया था। जबकि याचिका में सिंह ने कहा था कि उन्होंने राज्य के पूर्व गृहमंत्री व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अनिल देशमुख के भ्रष्टाचार को उजागर किया है। इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है व प्रताड़ित किया जा रहा है। चूंकि पहले उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया था। इसलिए अब राज्य सरकार जांच के नाम पर उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। याचिका में सिंह ने दावा किया है कि 19 अप्रैल 2021 को राज्य के पुलिस महानिदेशक संजय पांडे के साथ हुई बैठक में उन्हें देशमुख के खिलाफ राज्य सरकार को लिखे गए पत्र को वापस लेने की बात कही गई थी। जिसके लिए वे तैयार नहीं हुए थे। इस तरह खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद सिंह की याचिका को खारिज कर दिया।
Created On :   16 Sept 2021 7:30 PM IST