बीपीसीएल में भ्रष्टाचार के कथित आरोप की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज

Petition dismissed seeking to conduct CBI inquiry on allegations of corruption in BPCL
बीपीसीएल में भ्रष्टाचार के कथित आरोप की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज
बीपीसीएल में भ्रष्टाचार के कथित आरोप की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सार्वजनिक उपक्रम भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन (बीपीसीएल) में भ्रष्टाचार के कथित आरोपों की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका बीपीसीएल से बर्खास्त कर्मचारी अभिजीत वेलापुरे ने दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि बीपीसीएल में ईंधन के माप से जुड़ी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली होती है। इसके अलावा ईधन की लोडिंग- अनलोडिंंग की प्रक्रिया के दौरान व्यापक रुप से गड़बड़ी की जाती है। याचिका में कहा गया गया था कि बीपीसीएल के टर्मिनल में रोजाना करीब एक करोड़ रुपए की कथित तौर पर तस्करी की जाती है। इसलिए याचिका में उल्लेखित आरोपों की जांच सीबीआई से कराई जाए और याचिकाकर्ता को दोबारा नौकरी में रखने का निर्देश जारी किया जाए। क्योंकि याचिकाकर्ता को जानबूझकर निशाना बनाया गया है।

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटाले की खंडपीठ के सामने बीपीसीएल की ओर से पैरवी कर रहे  वरिष्ठअधिवक्ता जे .पी .कामा ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। क्योंकि याचिकाकर्ता के पास अपनी बात रखने के लिए कोर्ट आने की बजाय दूसरा कानूनी विकल्प उपलब्ध है। 

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता बीपीसीएल के आला अधिकारियों के पास अपनी बात रख सकता हैं। जो कि अपीलेट अथॉरिटी है। इसके अलावा भ्रष्टाचार के सारे आरोप आम है। आरोपो को लेकर न तो कोई सबूत है औऱ न ही सटीक जानकारी। जहां तक बात आरोपी के बर्खास्त किए जाने की है तो वह नियमानुसार व कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के बाद किया गया है। फिर भी याचिकाकर्ता चाहे तो वह बर्खास्तगी के फैसले को उपयुक्त प्राधिकरण के सामने चुनौती दे सकता है। वह केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के पास भी बीपीसीएल में कथित गड़बड़ी में सुधार के लिए अपनी बात रख सकता है। हाईकोर्ट को इस मामले की सुनवाई करने की आवश्यकता नहीं है। 

इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। औऱ कहा कि याचिकाकर्ता उपलब्ध कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र है। वहीं याचिकाकर्ता के वकील विनय नायर ने कहा कि वे हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। 
 

Created On :   23 April 2021 8:57 PM IST

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