को-ऑपरेटिव सोसाईटियों की प्रबंध समिति का कार्यकाल बढ़ाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

Petition filed against extension of tenure of managing committee of co-operative societies dismissed
को-ऑपरेटिव सोसाईटियों की प्रबंध समिति का कार्यकाल बढ़ाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज
को-ऑपरेटिव सोसाईटियों की प्रबंध समिति का कार्यकाल बढ़ाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कोरोना के चलते चुनाव न हो पाने की वजह से को-आपरेटिव सोसायटी की प्रबंध कमेटी का कार्यकाल बढाए जाने के सरकार के निर्णय के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में मांग की गई थी कि जब तक को-ऑपरेटिव सोसायटी के चुनाव नहीं हो जाते, तब तक सोसायटी के कामकाज के लिए प्रशासक की नियुक्ति की जाए। किंतु कोर्ट ने कहा कि सरकार का निर्णय याचिकाकर्ता के वैधानिकअधिकार को प्रभावित नहीं करता है। इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है।

अरुण कुलकर्णी नाम के शख्स ने अधिवक्ता सतीश तलेकर के मार्फत इस विषय में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि सरकार ने 10 जुलाई 2022 के एक अध्यादेश के जरिए को-ऑपरेटिव सोसायटी की प्रबंध कमेटी के कार्यकाल को बढाया गया है। वैधानिक रुप से यह सहीं नहीं है। लिहाजा इस संबंध में सरकार की ओर से जारी किए गए आदेश को रद्द किया जाए। याचिका में कहा गया था कि राज्य भर में विभिन्न प्रकार की 35 हजार सोसायटियां है। जिसमें को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरी व डिस्ट्रिक सेट्रल को-आपरेटिव बैंक सहित अन्य सोसायटियों का समावेश है। याचिका के मुताबिक अधिकांशतः सोसायटी की प्रबंध कमेटी का कार्यकाल जनवरी 2020 में खत्म हो गया है। इसलिए यहां चुनाव होना चाहिए लेकिन सरकार के संबंधित विभाग ने प्रबंध कमेटी के कार्यकाल को बढा दिया है। यह को-ऑपरेटिव सोसायटी अधिनियम के विपरीत है। इसलिए कार्यकाल बढाने के निर्णय को न्यायसंगत नहीं माना जा सकता है। 

राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने इस याचिका का विरोध किया और कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। क्योंकि याचिकाकर्ता यह दर्शाने में विफल रहा है कि सरकार के निर्णय से उसे व्यक्तिगत तौर पर क्या क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि औरंगाबाद खंडपीठ ने पहले इस विषय से संबंधित एक याचिका को खारिज किया है। न्यायमूर्ती आरडी धानुका व न्यायमूर्ति वीजी बिस्ट की खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस मामले में सरकार के निर्णय से याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रुप से प्रभावित नहीं हुआ है। लिहाजा उसके पास इस विषय में लिए गए सरकार के निर्णय को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। इस तरह से खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। 
 

Created On :   19 Feb 2021 6:23 PM IST

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