- एंटीलिया केस: कार मालिक मनसुख हिरेन के मुंह में ठुंसे थे 5 रुमाल, गहराया हत्या का शक
- टीएमसी ने जारी की 291 उम्मीदवारों की लिस्ट, ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़ेगी
- असम: BJP ने जारी की उम्मीदवारों की लिस्ट, माजुली से लड़ेंगे CM सर्बानंद
- PM मोदी ग्लोबल एनर्जी एंड एनवायरनमेंट लीडरशिप अवॉर्ड से सम्मानित
- ऋषभ पंत भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में शतक जमाने वाले दुनिया के सिर्फ दूसरे विकेटकीपर बने
को-ऑपरेटिव सोसाईटियों की प्रबंध समिति का कार्यकाल बढ़ाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कोरोना के चलते चुनाव न हो पाने की वजह से को-आपरेटिव सोसायटी की प्रबंध कमेटी का कार्यकाल बढाए जाने के सरकार के निर्णय के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में मांग की गई थी कि जब तक को-ऑपरेटिव सोसायटी के चुनाव नहीं हो जाते, तब तक सोसायटी के कामकाज के लिए प्रशासक की नियुक्ति की जाए। किंतु कोर्ट ने कहा कि सरकार का निर्णय याचिकाकर्ता के वैधानिकअधिकार को प्रभावित नहीं करता है। इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है।
अरुण कुलकर्णी नाम के शख्स ने अधिवक्ता सतीश तलेकर के मार्फत इस विषय में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि सरकार ने 10 जुलाई 2022 के एक अध्यादेश के जरिए को-ऑपरेटिव सोसायटी की प्रबंध कमेटी के कार्यकाल को बढाया गया है। वैधानिक रुप से यह सहीं नहीं है। लिहाजा इस संबंध में सरकार की ओर से जारी किए गए आदेश को रद्द किया जाए। याचिका में कहा गया था कि राज्य भर में विभिन्न प्रकार की 35 हजार सोसायटियां है। जिसमें को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरी व डिस्ट्रिक सेट्रल को-आपरेटिव बैंक सहित अन्य सोसायटियों का समावेश है। याचिका के मुताबिक अधिकांशतः सोसायटी की प्रबंध कमेटी का कार्यकाल जनवरी 2020 में खत्म हो गया है। इसलिए यहां चुनाव होना चाहिए लेकिन सरकार के संबंधित विभाग ने प्रबंध कमेटी के कार्यकाल को बढा दिया है। यह को-ऑपरेटिव सोसायटी अधिनियम के विपरीत है। इसलिए कार्यकाल बढाने के निर्णय को न्यायसंगत नहीं माना जा सकता है।
राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने इस याचिका का विरोध किया और कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। क्योंकि याचिकाकर्ता यह दर्शाने में विफल रहा है कि सरकार के निर्णय से उसे व्यक्तिगत तौर पर क्या क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि औरंगाबाद खंडपीठ ने पहले इस विषय से संबंधित एक याचिका को खारिज किया है। न्यायमूर्ती आरडी धानुका व न्यायमूर्ति वीजी बिस्ट की खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस मामले में सरकार के निर्णय से याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रुप से प्रभावित नहीं हुआ है। लिहाजा उसके पास इस विषय में लिए गए सरकार के निर्णय को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। इस तरह से खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।
कमेंट करें
ये भी पढ़े
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।