मृदा परीक्षण योजना की तकनीक पर आपत्ति उठाने वाली याचिका खारिज, 50 लाखा का जुर्माना

Petition over objection to technology of soil testing scheme dismissed, 50 lakh fine
मृदा परीक्षण योजना की तकनीक पर आपत्ति उठाने वाली याचिका खारिज, 50 लाखा का जुर्माना
मृदा परीक्षण योजना की तकनीक पर आपत्ति उठाने वाली याचिका खारिज, 50 लाखा का जुर्माना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने निजी स्वार्थ से प्रेरित याचिका दायर करने वाले दो याचिकाकर्ता समेत मध्यस्थी अर्जदार पर कुल 50 लाख रुपए की कॉस्ट लगाई है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। 50 लाख की कॉस्ट में से 25 लाख रुपए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (अाईसीएआर) और शेष 25 लाख रुपए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के खाते में जमा कराने के आदेश न्यायमूर्ति रवि देशपांडे और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने शुक्रवार को जारी किया है।

कोर्ट ने दोनों सरकारी संस्थाओं को याचिकाकर्ता एमआईडीसी, सेवाग्राम वर्धा स्थित नागार्जुना एग्रो केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड पर कार्रवाई करते हुए उसे ब्लैकलिस्ट करने पर विचार करने को कहा है। कोर्ट ने यह कार्रवाई पूरा करने के लिए सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया है। मामले में केंद्र सरकार की ओर से एड. प्रवीण स्वरूप और एड. मुग्धा चांदुरकर ने पक्ष रखा। राज्य सरकार की ओर से एड. ए. एम. जोशी, गैर अर्जदार की ओर से एड. जेमिनी कासट, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एम. जी. भांगडे, एड. अजय घारे, एड. आर. एस. सिरपुरकर ने पक्ष रखा। एसटीएफआर एसोसिएशन की ओर से एड. आर. एन. घुघे ने पक्ष रखा।  

याचिका में यह थे आरोप
हाईकोर्ट में आनंद एम्बडवार ने जनहित याचिका दायर कर और एमआईडीसी, सेवाग्राम वर्धा स्थित नागार्जुना एग्रो केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड ने रिट याचिका दायर कर प्रार्थना की थी कि वे अाईसीएआर और आईएआरआई द्वारा विकसित की गई सॉइल टेस्टिंग एंड फर्टिलाइजर रिकमेंडेशन मीटर के उत्पादन और मार्केटिंग पर प्रतिबंध लगा दे, क्योंकि इसमें मिट्टी के दो अहम तत्व कॉपर और नाइट्रोजन का परीक्षण करने की क्षमता नहीं है। 

केंद्र सरकार ने यह योजना मिट्टी के तत्वों का परीक्षण करके उसकी कमियां दूर कर फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए लाई थी। इसके लिए अाईसीएआर और आईएआरआई ने मिल कर सॉइल टेस्टिंग एंड फर्टिलाइजर रिकमेंडेशन (एसटीएफआर) मीटर  विकसित किया है, जो किसानों को उसकी खेत की मिट्टी की प्रिंट की हुई रिपोर्ट देने में सक्षम है, जिसमें मिट्टी के 12 विविध प्रकारण के पोषक तत्वों की मात्रा की जानकारी दी जाती है। केंद्र सरकार ने इसके कार्यांन्वयन के लिए 12 विविध फर्टिलाइजर कंपनियों से करार करके उन्हें जिम्मेदारी सौंपी थी। इसमें नागार्जुना एग्रो केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड भी शामिल थी। 

 आईसीएआर और आईएआरआई ने कोर्ट में दावा किया कि नागार्जुना कंपनी ने करार का भंग करते हुए उनकी तकनीक मामूल कर ली और उसकी नकल करके खुद की "मृदा परीक्षक" नामक तकनीक विकसित कर ली। बाद में कोर्ट में याचिका दायर करके अाईसीएआर और आईएआरआई द्वारा विकसित एसटीएफआर मीटर को कमतर बता कर उस पर प्रतिबंध लगाने की प्रार्थना की। 

अदालत में नहीं सिद्ध कर पाए प्रमाणिकता
हाईकोर्ट ने याचिका की बारीकियों को समझ कर यह मत बनाया कि याचिकाकर्ता नार्गाजुना कंपनी का इसमें निजी हित समाहित है। वो एसटीएफआर पर रोक लगा कर अपने "मृदा परीक्षक" मीटर के जरिए इस क्षेत्र में एकाधिकार जमाना चाहती थी। इसी मुद्दे पर जनहित याचिका दायर करने वाले आनंद एम्बडवार न ताे किसान हैं और न ही उनका मामले से कुछ लेना-देना है। यहां तक कि वे कोर्ट में अपनी प्रामाणिकता भी सिद्ध नहीं कर सके। उन्होंने नागार्जुना कंपनी के हित में यह जनहित याचिका दायर की। इसी तरह याचिका को समर्थन करने वाले मध्यस्थी अर्जदार नागपुर निवासी भगवान कारमेंगे भी कोर्ट में अपनी प्रमाणिकता सिद्ध कराने में असमर्थ रहे। ऐसे में याचिका में लगाए गए तमाम आरोप और प्रार्थनाएं बेबुनियाद हैं और याचिकाकर्ता ने कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया है। ऐसे में कोर्ट ने यह सख्त आदेश जारी किया है। 

Created On :   4 Jan 2020 1:45 PM IST

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