फेज-2- रेलवे बोर्ड ने माँगी सभी लोकल ट्रेन्स की रिपोर्ट -

Phase-2- Railway Board asks for the report of all local trains -
फेज-2- रेलवे बोर्ड ने माँगी सभी लोकल ट्रेन्स की रिपोर्ट -
फेज-2- रेलवे बोर्ड ने माँगी सभी लोकल ट्रेन्स की रिपोर्ट -

डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना संक्रमण के काल में अनलॉकिंग के बाद रेलवे बोर्ड ट्रेनों को पटरी पर लाने के लिए फेज-2 की तैयारी कर रहा है, जिसके लिए रेलवे बोर्ड ने पश्चिम मध्य रेलवे प्रशासन से 200 किलोमीटर वाली लोकल ट्रेन्स के साथ यात्रियों की डिमांड वाली गाडिय़ों को चलाए जाने का प्रस्ताव माँगा है। माना जा रहा है कि 30 सितम्बर तक रेलवे बोर्ड कई गाडिय़ों को नियमित रूप से चलाने की अनुमति दे सकता है, ताकि यात्रियों के मन में ट्रेनों के फिर से बंद होने की आशंका पैदा न हो सके।
शटल, पैसेंजर गाडिय़ों पर जोर -रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार पमरे प्रशासन रेलवे बोर्ड को भेजे जाने वाले प्रस्ताव में सामान्य यात्रियों की माँग को देखते हुए लोकल ट्रेन्स शटल और पैसेंजर पर सबसे अधिक जोर देने का मन बना रहा है।  इनमें जबलपुर-इटारसी, जबलपुर-रीवा, कटनी-बीना, जबलपुर-सिंगरौली के बीच ट्रेनों को शुरू करने में रेल प्रशासन की दिलचस्पी है।
डिजिटल सिस्टम बना सिरदर्द  रेलकर्मियों की नहीं हो रही सुनवाई
 रेल कर्मचारियों की पर्सनल डिटेल्स को मैनुअल सिस्टम से अपग्रेड करते हुए रेलवे ने डिजिटल सिस्टम पर शिफ्ट करने की सकारात्मक पहल की थी, लेकिन डिजिटलाइजेशन रेलकर्मियों को राहत देने की बजाय मुसीबत का कारण बन रही है। हालात यह हैं कि जो काम पहले मैनुअली 10 मिनट में हो जाता था, डिजिटल होने के बाद उसी काम के लिए रेलकर्मियों को अब घंटों परेशान होना पड़ रहा है, जिसके पीछे ऑनलाइन डाटा में आधी-अधूरी जानकारी को कारण बताया जा रहा है।
कहा जा रहा है कि रेलवे में ह्यूमन रिसोर्सेज मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया गया था, जिसका काम प्राइवेट कॉन्ट्रेक्टर को दिया गया। इस सिस्टम को लागू करते समय पर्सनल विभाग की टीम को मॉनीटरिंग करनी चाहिए थी कि रेलकर्मियों का डाटा, जिसमें उनका शिक्षा, कार्य की अवधि, प्रमोशन, लीव, अवॉर्ड आदि की सही डिटेल्स पंच की जा रही है या नहीं..? लेकिन मॉनीटरिंग नहीं किए जाने की वजह से एचआरएमएस में आधी-अधूरी जानकारियाँ भर दी गईं, जिससे रेलकर्मी किसी भी सुविधा पाने के लिए परेशान हो रहे हैं। वर्तमान में जबलपुर मंडल में करीब 17 हजार और जोन में करीब 48 हजार रेलकर्मी हैं।
21 दिनों में हुआ डाटा पंचिंग का काम पूरा, लेकिन सारा आधा-अधूरा
रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार रेल कर्मचारियों की पर्सनल डिटेल्स को डिजिटल सिस्टम पर लाने का काम आनन-फानन में  21 दिनों में पूरा कर लिया गया, लेकिन जिस ठेकेदार को यह काम दिया गया, उसके स्टाफ ने रेलकर्मियों की सही जानकारियाँ सिस्टम में अपडेट नहीं कीं। यह खुलासा तब हुआ जब कुछ रेलकर्मियों ने यात्रा पास के लिए आवेदन किया तो उन्हें ओटीपी के लिए रिजर्वेशन काउंटर पर भेज दिया गया। जब विभागीय स्तर पर रेलकर्मी का डिटेल निकाला गया तो वो आधा-अधूरा था, ऐसे में ओटीपी जेनरेट ही नहीं हो पाया और रेलकर्मी ड्यूटी छोड़कर घंटों तक रिजर्वेशन काउंटर पर खड़े रहने मजबूर हो गए। रेल कर्मियों का कहना है िक एचआरएमएस में डिटेल्स मैच नहीं होने के कारण उन्हें भटकाया जा रहा है।

 

Created On :   25 Sep 2020 8:36 AM GMT

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