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संसदीय संकुल योजना से बदलेगी आदिवासी बाहुल्य गावों की तस्वीर
डिजिटल डेस्क, मुंबई, विजय सिंह कौशिक। आज़ादी के 75 वर्षो के बावजूद देश के आदिवासी इलाकों में पिछड़ापन दिखाई देता है। इसे दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने संसदीय संकुल योजना शुरू की है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना के लिए देश भर के 30 आदिवासी बाहुल्य गावों का चयन किया गया है जिसमें महाराष्ट्र के भी तीन गांव शामिल हैं। राज्य के आदिवासी विकास मंत्री डा विजय कुमार गावित ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में बताया की राज्य के आदिवासी जिलों के नंदूरबार, डिंडोरी (नासिक) व धनौरा (गड़चिरोलो) तहसिल क्षेत्र के एक-एक गांव का चयन इस योजना के लिए किया गया है। यह योजना सफल रहने पर इसे राज्य के दूसरे आदिवासी गांवों में भी लागू किया जाएगा।
डा गावित ने बताया की इस योजना के तहत चयनित गांवो में सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के साथ रोजगार भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिल्टी (सीएसआर) के माध्यम से निधि उपलब्ध कराई जाएगी, साथ ही सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ चयनित गांवो में खास तौर पर पहुंचाया जाएगा। डा गावित ने बताया कि केंद्र सरकार की इस योजना की अवधि पांच वर्ष है पर हमनें इस योजना को सिर्फ दो साल में पूरा करने का लक्ष्य तय किया है।
मेलघाट की तस्वीर बदलने की कोशिश जारी
अमरावती के मेलघाट सहित राज्य के आदिवासी इलाकों में कुपोषण से होने वाली बच्चों की मौत के सवाल पर मंत्री ने कहा की आदिवासी इलाकों में सबसे बड़ी समस्या संपर्क मार्ग की है। आदिवासी समुदाय जंगलों पहाड़ी इलाकों में रहता है। इस लिए वहा तक पहुंचने के लिए अच्छी सड़के नहीं हैं। इस लिए सड़कों की हालत सही करना हमारी पहली प्राधमिकता है। अच्छी सड़के होने पर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचना आसान होगा। उन्होंने कहा कि अभी हमारी सरकार आई है।
6 माह के भीतर मेलघाट सहित राज्य के सभी 15 आदिवासी जिलों में तस्वीर बदली हुई दिखाई देगी। उन्होंने कहा कि नक्सलग्रस्त इलाकों के लिए हमारे पास कई योजनाएं हैं। हम चाहते हैं कि तेंदुपत्ता, महुआ जैसे वन उपज का लाभ स्थानिय लोगों को मिले। इस दिशा में हमारी सरकार काम करेगी।
Created On :   19 Oct 2022 10:07 PM IST