व्हाइट टॉपिंग तकनीक से सड़के बनाने की योजना, सदर में बनकर है तैयार

Plan to build roads using white topping technique, used in Sadar
व्हाइट टॉपिंग तकनीक से सड़के बनाने की योजना, सदर में बनकर है तैयार
व्हाइट टॉपिंग तकनीक से सड़के बनाने की योजना, सदर में बनकर है तैयार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बारिश के मौसम में डामर व गिट्टी उखड़ने से सड़क पर जगह-जगह गड्ढे तैयार होते है। इन गड्ढों के कारण सड़क दुर्घनाएं होती है। कई बार दुर्घटना में जान भी चली जाती है। शहर में व्हाइट टापिंग तकनीक से सड़के बनाने की योजना पर काम हो रहा है। शहर में इस तकनीक की पहली सड़क सदर में बनकर तैयार हो गई है। जिन रास्तों पर बिजी ट्राफिक है, वहां के लिए ये सड़के बेहतर मानी जाती है। सीमेंट रोड की अपेक्षा इस पर लागत मूल्य कम लगता है। इन सड़कों पर गड्ढे नहीं होते आैर दो दशक तक सेवा दे सकती है। इंडियन रोड कांग्रेस ने भी इन सड़कों पर जोर दिया है। सड़कों पर सबसे ज्यादा गड्ढे बारिश के दौरान पड़ते है। बारिश में रास्ते का डामर व गिट्टी उखड़ जाती है। व्हाइट टापिंग तकनीक के तहत सीमेंट- कांक्रीट (गिट्टी) की सड़क बनाई जाती है। यह सीमेंट रोड ही होता है, लेकिन इसमें सरिया का इस्तेमाल नहीं होता। इसी तरह सीमेंट रोड की मोटाई जहां 35-40 सेमी से ज्यादा होती है, वहीं इसकी मोटाई 15 से 20 सेमी होती है। वन लेन या टू लेन बनाना बेहतर होता है। ज्यादा चौड़ी होने पर इसकी मजबूती पर असर हो सकता है। महामार्गों की अपेक्षा शहर के अंदर की सड़कों पर ये तकनीक ज्यादा कारगर साबित हो सकती है। शहर में अधिकांश रास्तों पर बिजी ट्राफिक होता है। महामार्गों पर हेवी ट्राफिक होता है आैर वहां इस मोटाई के रास्ते ज्यादा कारगर नहीं हो सकते।

एनएचए ने किया पहला प्रयोग

नेशनल हाई वे ने सदर में बनाए गए फ्लाइओवर के नीचे का रास्ता व्हाइट टापिंग तकनीक से बनाया है। इसतरह का शहर का यह पहला रोड है। एनएचए नागपुर के रिजनल आफिसर नरेश वडेटवार ने बताया कि सदर में इसतरह का रास्ता बनाया गया है। इसतरह के रास्ते बिजी ट्राफिक एरिया में बनाना बेहतर है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर इसकी उपयोगिता ज्यादा नहीं है। शहर में हर साल रास्तों पर हजारों गड्ढे पड़ते है और वहां यह तकनीक ज्यादा कारगर हो सकती है। इसमें डामर रोड से ज्यादा व सीमेंट रोड से कम खर्च आता है। ये रोड 15 साल से ज्यादा सेवा दे सकते है।

उल्हास देबडवार मुख्य अभियंता के मुताबिक लोक कर्म विभाग ने अभी तक नागपुर में इसतरह की सड़क नहीं बनाई, लेकिन इस तकनीक से सड़के बनाने की योजना है। नेशनल रोड कांग्रेस ने भी इस पर जोर दिया है। पूणे, मुंबई में इसतरह की सड़के बनाई गई है। नागपुर के आसपास जहां पीडब्ल्यूडी की सड़के है, वहां इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। बिजी ट्राफिक में यह ज्यादा कारगर होती है। स्टेट हाई वे की अपेक्षा शहर के अंदर व्यस्त ट्राफिक होता है। लोकल बॉडी (मनपा, नासुप्र) आगे इसतरह के रोड बनाएंगे। नेशनल रोड कांग्रेस की गाइडलाइन पर लोकल बाडी को भी अमल करना है। गड्ढे पाटने में बार-बार आनेवाले खर्चे से निजात मिल सकती है।

समतल होनी चाहिए जमीन

तकनीकी एक्सपर्ट की माने तो समतल जमीन पर ही व्हाइट टापिंग तकनीक से सड़क बनाई जा सकती है। ऊपर-नीचे वाली जमीन पर यह तकनीक बेहतर काम नहीं करती। इस रास्ते की मोटाई सीमित व एक जैसी होती है। सड़क की मोटाई एक जगह कम और एक जगह ज्यादा नहीं कर सकते। समतल जमीन पर समतल सड़क एक मोटाई से बनती है, इसलिए इस पर गड्ढे होने की संभावना बेहद कम होती है।

 
 

Created On :   19 Nov 2019 9:45 PM IST

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