112 करोड़ की जलावर्धन योजना समेत 5 मामले लोकायुक्त को सौंपने की तैयारी!

Plan to refer cases of 112 crore rupees corruption to Lokayukta!
112 करोड़ की जलावर्धन योजना समेत 5 मामले लोकायुक्त को सौंपने की तैयारी!
112 करोड़ की जलावर्धन योजना समेत 5 मामले लोकायुक्त को सौंपने की तैयारी!

डिजिटल डेस्क, सतना। तकरीबन 112 करोड़ की जलावर्धन योजना, 42 करोड़ की अमृत स्कीम, सवा करोड़ की चौपाटी, बिजली सामाग्री की खरीदी के लिए 2 करोड़ के बजट में बंदरबाट और मस्टर कर्मियों की नियुक्तियों में भारी भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ सोमवार को यहां नगर निगम परिषद की बैठक में लामबंद पार्षदों ने जमकर हंगामा मचाया। परिषद के अध्यक्ष अनिल जायसवाल की अनुमति से एजेंडे के बाहर के इन विषयों पर चर्चा के दौरान हालात इस कदर तल्ख हुए कि पक्ष-विपक्ष के पार्षदों ने इन 5 मामलों की जांच लोकायुक्त से कराए जाने की मांग तक कर डाली। 

पार्षदों ने भारी भ्रष्टाचार की इस चर्चा को कार्यवाही में भी शामिल किए जाने की मांग की। मगर स्पीकर के सुझाव मांगे जाने पर निगमायुक्त प्रवीण अढायच ने एजेंडे से बाहर के विषयों को मिनिट बुक में नहीं लेने की सलाह दी। जानकारों का मानना है कि बैठक में इन मसलों पर चर्चा वस्तुत: प्रकरण को लोकायुक्त के सुपुर्द करने का पूर्वाभ्यास है।

क्या अब पैचवर्क पर गलाएंगे जनता की गाढ़ी कमाई?
112 करोड़ की जलावर्धन योजना में भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए बीजेपी पार्षद नीरज शुक्ला ने कहा कि ठेका कंपनी भुगतान लेकर जा चुकी है, लेकिन अंडर ग्राउंड पाइप लाइन डालने के कारण शहर की सड़कों का सत्यानाश हो चुका है। कोई गली ऐसी नहीं है जो पैदल चलने के लायक हो। कांग्रेस पार्षद कुदरत उल्लावेग और भाजपा के प्रसेनजीत सिंह तोमर के अलावा अजय सिंह मिंटू और शिवशंकर गर्ग ने भी अपनी सहमति व्यक्त करते हुए स्पष्ट किया कि टेंडर शर्तों के मुताबिक पैंचवर्क का जिम्मा ठेका कंपनी के पास होने के बाद भी न केवल उसे जाने दिया गया, बल्कि आननफानन में बगैर पैचवर्क के इस मद का भी भुगतान कर दिया गया। इन पार्षदों के साथ पार्षद सुशील सिंह मुन्ना ने भी सवाल उठाए कि अब इस डैमेज का मेंटीनेंस आखिर कौन  करेगा? क्या, ठेकेदार को उपकृत करने के बाद नगर निगम अब इस मद में जनता की गाढ़ी कमाई लगाएगा?

जवाब नहीं दे पाए चारों इंजीनियर
पार्षदों के इन तथ्यात्मक सवालों का जवाब देने के लिए एक-एक कर नगर निगम के 4 संबंधित इंजीनियर बुलाए गए, लेकिन इनमें से एक भी इंजीनियर संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाया। पार्षदों ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने से जुड़े सवालों की श्रंखला में जलावर्धन का घटकवार हिसाब भी मांगा। मगर तमाम कोशिशों के बाद निगम के जिम्मेदार इंजीनियर पैचवर्क से जुड़ी फाइल सदन के पटल पर नहीं रख पाए।

चौपाटी की जांच रिपोर्ट एमआईसी में
लगभग 10 माह तक अंडरग्राउंड रही बहुचर्चित चौपाटी मामले की जांच रिपोर्ट अंतत: एमआईसी में मिली। परिषद की बैठक में एजेंडे से बाहर की चर्चा के दौरान महापौर ममता पांडेय ने बताया कि रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के आरोप प्रमाणित नहीं पाए गए हैं। जांच रिपोर्ट एमआईसी में भेजे जाने पर पार्षदों ने जानना चाहा कि जब जांच टीम परिषद ने बनाई थी तो रिपोर्ट एमआईसी को क्यों भेजी गई?

जवाब में निगमायुक्त प्रवीण अढायच ने नियमों के हवाले से स्पष्ट किया कि रिपोर्ट एमआईसी से अनुमोदित होने के बाद ही नगर निगम की परिषद को भेजे जाने का प्रावधान है। सदस्यों ने पार्षदों की जांच टीम के दायरे में फंसे बिजली सामग्री घोटाले पर भी हंगामा मचाया। नाराजगी इस बात को लेकर थी कि रिपोर्ट आखिर गई कहां? बैठक में भाजपा पार्षद रजनी रामकुमार ने भी अपने वार्ड की समस्याएं गिनाईं।

 

Created On :   14 Aug 2018 8:01 AM GMT

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