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सौर ऊर्जा योजना की प्लानिंग धरी की धरी रह गई, नई सोलर नेट मीटरिंग योजना बढ़ा रही सिरदर्द
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग सौर ऊर्जा निर्मिति, प्रयोग, मीटरिंग और बिलिंग के लिए नए नियमों को बना रही है। हालांकि अभी इन्हें आपत्ति देने के लिए प्रसारित किया गया है। इन नियमों को देखें तो सरकार के सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के मंसूबों पर केवल पानी नहीं फिरेगा। आयोग ने प्रस्तावित नियमों में कहा है कि नेट मीटरिंग केवल 300 यूनिट तक मान्य होगी। इससे अधिक बिजली नेट मीटरिंग से उत्पादित करने पर उसे विद्युत वितरण कंपनी 3 रुपए 64 पैसे की दर से खरीदेगी। यह दर अगले 20 साल तक स्थिर रहेगी। उपभोक्ता को 300 यूनिट से अधिक के प्रयोग के लिए स्थिर आकर और करीब 11 से 12 पैसे की दर से विद्युत वितरण कंपनी को भुगतान करना होगा। इतना ही नहीं, हर साल विद्युत दर में होने वाली वृद्धि को भी झेलना होगा। यह तो केवल घरेलू उपभोक्ताओं की बात हुई। अन्य उपभोक्ताओं को तो यह सुविधा भी नहीं है। उन्हें पहली विद्युत यूनिट के प्रयोग के साथ ही महावितरण या वितरण कंपनी की दर से भुगतान करना होगा। उनके द्वारा उत्पादित सौर ऊर्जा के लिए 3 रुपए 64 पैसे की दर से ही भुगतान किया जाएगा। इसके चलते 3 किलोवाट से अधिक सौर ऊर्जा का निर्माण करने में किसी को भी रुचि नहीं होगी और देश को सौर ऊर्जा आलंबित बनाने के राष्ट्रीय सपने पर सीधा कुठाराघात होगा।
सब कुछ उपभोक्ता का, मजे वितरण कंपनी के
नेट मीटरिंग कनेक्टेड सौर ऊर्जा के लिए उपभोक्ता को जगह उपलब्ध करानी होती है। इसके अलावा सौर पैनल लगाने तथा इससे जुड़ी पूरी संरचना के निर्माण का खर्च भी उपभोक्ता को करना है। साथ ही अभी तक जितनी बिजली उपभोक्ता इन पैनल से उत्पादित करता था उसे वितरण कंपनी को देता था और जितनी प्रयोग करता था, उतनी बिजली ही वितरण कंपनी से मिलती थी। शेष उत्पादित बिजली वितरण कंपनी के पास जमा रहती थी। मतलब अधिक उत्पादित बिजली के लिए उसे कोई भी नकद राशि नहीं दी जाती थी। नया नियम लागू होने पर उपभोक्ता को दोगुनी मार पड़ेगी। उपभोक्ता कितनी भी बिजली बनाए उसे केवल 300 यूनिट तक ही बिजली मिलेगी। शेष अधिक बिजली प्रयोग के लिए उसे जेब ढीली करनी होगी। मतलब खर्च उपभोक्ता का और मजे वितरण कंपनी के। अपनी बिजली बेच कर भी कमाई और उपभोक्ता की बनाई बिजली पर भी कमाई।
कानून व संविधान का उल्लंघन
महाराष्ट्र विद्युत उपभोक्ता संगठन के कार्यालयीन सचिव प्रताप होगाडे के एमईआरसी द्वारा प्रस्तावित नियमों को संविधान व विद्युत अधिनियम के प्रावधानों का खुला उल्लंघन बताया है। महाराष्ट्र में 4 हजार मेगावाट विद्युत उत्पादन रूफ टॉप सौर ऊर्जा से निर्माण करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में करीब 266 मेगावाट बिजली ही रूफ टॉप से बन रही है। नए नियम लागू होने पर इस लक्ष्य को पान मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा। आयोग इन नियमों को लागू कर पर्यावरण व देश की विद्युत नीति के विरुद्ध कार्य कर रही है। उन्होंने सभी विद्युत उपभोक्ताओं, उद्योग, उपभोक्ता संगठनों से अाह्वान किया है कि 18 नवंबर के पूर्व अधिक से अधिक संख्या में अपनी लिखित आपत्ति महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग को भेजें।
Created On :   14 Nov 2019 3:22 PM IST