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किसी को सोशल सजा देने का अधिकार पुलिस के पास नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर। लॉकडाउन के दौरान यदि कोई व्यक्ति कानून का पालन नहीं करता है, तो उसे सोशल सजा देने का अधिकार पुलिस के पास नहीं है। कानून में जो धारा है उनके तहत ही कार्रवाई करने का अधिकार है। इससे कई बार लोगों के जीवन पर गलत असर पड़ता है और सोशल मीडिया पर वायरल होने से उसकी प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती है। हालांकि इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि हमारा कानून सजा से अधिक व्यक्ति में सुधार पर आधारित है। ऐसे में लोगों को उनकी गलती पर अंतिम निर्णय सजा का न लेकर उनको सुधार का मौका दिया जाता है। यह बात विधि के जानकारों द्वारा कही गई है
कानून के तहत कार्रवाई कर सकते
अधिवक्ता अक्षय समर्थ के मुताबिक यदि कोई लॉकडाउन का नियम तोड़ता है तो उस पर कानून की धारा के तहत कार्रवाई की जा सकती है। उस पर मुकदमा दायर किया जा सकता है या उसका चालान काटा जा सकता है। सोशल मीडिया पर उसकी पोस्ट-वीडियो वायरल होने से उसकी छवि धूमिल हो जाती है, जिसका असर उसके सामाजिक जीवन पर पड़ता है और कई बार वह गलत निर्णय लेने के लिए बाध्य हो जाता है।
सोशल सजा से सुधार होता है
अधिवक्ता आदिल मिर्जा के मुताबिक हमारे कानूनों का आधार सुधार है और इसके लिए सुधार गृह भी बनाए गए हैं। यह समझाइश के तौर पर दी जाती है, जिससे उक्त व्यक्ति को नुकसान नहीं होता है। हमारे कानून में सजा अंतिम निर्णय नहीं है, बल्कि सुधार पर भी काम किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति पर 188 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा तो उसको क्रीमिनल ट्रालय का सामना करना पड़ेगा।
पुलिस मामला दर्ज कर सकती है
अधिवक्ता कमल सतूजा के मुताबिक पुलिस को इस तरह के अधिकार नहीं हैं, वह अपराध के मामले में 188 कलम के तहत मुकदमा दायर कर सकती है। राइट टू लाइफ में ऐसा नहीं है। वरिष्ठ नागरिकों के हाथ में तख्ती देकर उनको समाज का दुश्मन बताना गलत है। न्यायालय ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है।
Created On :   10 May 2020 6:46 PM IST