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एट्रोसिटी मामले में एफआईआर से नाम हटाने के विरोध में याचिका
डिजिटल डेस्क, नागपुर। उच्च न्यायालय की खंडपीठ में न्यायमूर्ति पुष्पा गनेड़ीवाल और एस.एम. सोनक की अदालत में पीड़िता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की गई। याचिका में शारीरिक उत्पीड़न और एट्रोसिटी के मामले में पुलिस पर लापरवाही बरतने और पुलिस अधिकारी का नाम एफआईआर से हटाने को लेकर विरोध जताया गया है। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 13 दिसंबर को विस्तार से सुनवाई करने का निर्देश दिया है।
शिकायत में महिला पुलिस उपायुक्त का नाम
याचिकाकर्ता पीड़िता का आरोप है कि, इस मामले में 6 अक्टूबर 2021 को सीताबर्डी पुलिस स्टेशन और पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार से शिकायत की गई थी। शिकायत में अजय बागड़ी, पत्रकार जगदीश जोशी, डीसीपी जोन-2 की उपायुक्त विनीता साहू समेत कई अन्य पर अत्याचार का आरोप लगाया गया था। बावजूद पुलिस ने शिकायत पर कोई भी कार्रवाई नहीं की। एफआईआर तक दर्ज नहीं की। सीताबर्डी पुलिस स्टेशन से शिकायत को अपराध शाखा और प्रताप नगर पुलिस स्टेशन भेज दिया गया। प्रताप नगर पुलिस की ओर से शिकायतकर्ता पर पुलिस उपायुक्त विनीता साहू, पत्रकार जगदीश जोशी सहित कई नामों को हटाने का दबाव डाला गया।
चार घंटे बिठाकर रखा, नहीं दर्ज की एफआईआर
इतना ही नहीं, पीड़िता को दबाव में लाने के लिए 3 नवंबर को रात 8 से रात 11.45 बजे तक पुलिस स्टेशन में बैठाकर रखा गया। एफआईआर दर्ज नहीं होने पर पीड़िता अपने घर लौट गई। मामले में पुलिस का दबाव और लापरवाही को देखते हुए 9 नवंबर को पीड़िता ने उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की और याचिका में 6 अक्टूबर को सीताबर्डी पुलिस के समक्ष दिए बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज करने की गुहार की है। न्यायालय में याचिका पर सुनवाई के दौरान पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने की जानकारी दी है।
एफआईआर में पीड़िता के हस्ताक्षर पर संदेह
7 नवंबर को दर्ज एफआईआर के आधार पर पुलिस की ओर से सरकारी वकील टी.ए. मिर्जा ने याचिका रद्द करने की मांग की। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सतीश उके और तरुण परमार ने गुमराह करने और सर्वोच्च न्यायालय की नियमावली का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। पुलिस द्वारा अपने अधिकारियों के नाम हटाकर मामले की जांच स्टेट सीआईडी के पास नहीं जाने देने का षड़यंत्र करने का भी आरोप पीड़िता के वकीलों ने लगाया है। इतना ही नहीं, पुलिस की एफआईआर में पुलिस अधिकारी समेत कई अन्य नामों को हटाने पर आपत्ति जताते हुए याचिका पर विस्तार से सुनवाई करने की मांग की। सुनवाई के दौरान वकीलों ने एफआईआर में पीड़िता के हस्ताक्षर पर भी संदेह जताया है। न्यायालय ने दोनो पक्षों को सुनने के बाद 13 दिसंबर को विस्तार से सुनवाई करने का निर्देश दिया है।
Created On :   24 Nov 2021 6:51 PM IST