मंदाकिनी नदी से मिली अष्टधातु की बेशकीमती मूर्ति छिपाने पर नयागांव के थाना प्रभारी सस्पेंड 

Police station in-charge suspended from hiding the prized idol of Ashtadhatu found in Mandakini river
मंदाकिनी नदी से मिली अष्टधातु की बेशकीमती मूर्ति छिपाने पर नयागांव के थाना प्रभारी सस्पेंड 
मंदाकिनी नदी से मिली अष्टधातु की बेशकीमती मूर्ति छिपाने पर नयागांव के थाना प्रभारी सस्पेंड 

डिजिटल डेस्क सतना। एक नाविक के घर से बरामद अष्टधातु की एक बेशकीमती मूर्ति की जब्ती नहीं बनाने, वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित नहीं करने और नियमों के तहत इसे पुरातत्व विभाग के सुपुर्द नहीं करने के मामले में पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल ने चित्रकूट के नयागांव थाने के प्रभारी आशीष धुर्वे को निलंबित कर दिया है। निलंबित किए गए थाना प्रभारी को यहां लाइन में भेज गया है। नयागांव थाने का प्रभार सब इंस्पेक्टर आरबी त्रिपाठी को सौंपा गया है, जो फिलहाल रीडर शाखा के इंचार्ज हैं वह पूर्व में नयागांव में सेवा देने के अलावा सभापुर के प्रभारी भी रह चुके हैं। इस पूरे प्रकरण की नए सिरे से तहकीकात की जिम्मेदारी डीएसपी हेड क्वार्टर हितिका वासल को दी गई है। मूर्ति अंतत: पुरातत्व विभाग को सौंप दी गई है। 
क्या है पूरा मामला 
पुलिस सूत्रों के मुताबिक 2 जून को मंदाकिनी नदी के क्योटरा घाट में मंदाकिनी नदी की सफाई के दौरान विजय मल्लाह और उसके साथियों को लगभग 15 किलो वजन की डेढ़ फुट ऊंची अष्ट धातु की श्रीकृष्ण की मूर्ति मिली थी। मूर्ति को चुपचाप नाविक अपने साथ ले आए और उसे विजय मल्लाह के घर पर छिपा कर रख दिया गया। बताया गया है कि मूर्ति को रखने को लेकर नाविकों के बीच विवाद हो गया और इसी विवाद के चलते एक नाविक ने मामले की सूचना नयागांव के थाना प्रभारी आशीष धुर्वे को दे दी। बताया गया है कि 4 जून को थाना प्रभारी  मल्लाह के घर पहुंचे और मूर्ति अपने साथ ले आए। आरोप है कि थाना प्रभारी ने बेशकीमती इस मूर्ति की न तो जब्ती बनाकर इसे माल खाने में जमा कराया और न ही इस संबंध में मार्गदर्शन के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को ही वस्तु स्थिति से अवगत कराया। नियमों के तहत मूर्ति की जब्ती बनाकर इसे पुरातत्व विभाग को सौंपा जाना चाहिए था,मगर थाना प्रभारी ने मूर्ति मिलने के 6 दिन बाद भी ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई। 
ऐसे हुआ खुलासा 
मंदाकिनी नदी से मिली अष्टधातु की बेशकीमती की मूर्ति को अंतत: नयागांव के थाना प्रभारी भी पचा नहीं पाए। इसी बीच चित्रकूट में इस आशय की अफवाह फैली कि नाविकों को ये मूर्ति मंदाकिनी नदी के रामघाट से मिली थी,जिसे मध्यप्रदेश की पुलिस अपने साथ ले गई है। रामघाट उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में स्थित है। ऐसी ही खबर जब चित्रकूट के सांसद आरके पटेल को मिली तो उन्होंने  रीवा के डीआईजी अनिल सिंह कुशवाह से फोन पर बात की। मामला एसपी रियाज इकबाल के संज्ञान में आया तो नयागांव के थाना प्रभारी ने आननफानन में 14 जून को मूर्ति की जब्ती बना दी।  
आंखों में जड़े थे हीरे, साथ में थी सोने की बांसुरी
अष्टधातु की बेशकीमती मूर्ति में आंखें नहीं हैं। माना जा रहा है कि आंखे निकाल ली गईं। इस मसले पर चित्रकूट में जितने मुंह उतनी बातें भी हैं। किसी का कहना है कि आंखों में हीरे जड़े थे,तो कोई स्वर्ण निर्मित आंखों के होने का अनुमान लगा रहा है। मूर्ति के साथ सोने की बासुंरी की भी अटकले लगाई जा रही हैं। मगर, सच क्या है? ये तय होना अभी बाकी है। प्रथमदृष्टया पुरातत्व विभाग की राय में मूर्ति तकरीबन ढाई सौ साल पुरानी मानी जा रही है। इसे बेशकीमती भी बताया जा रहा है।

Created On :   16 Jun 2020 1:07 PM GMT

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