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अदालत में न लड़ी जाए राजनीतिक लड़ाई, विधानसभा अध्यक्ष चुनाव को लेकर भाजपा विधायक ने दायर की है याचिका
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी के विधायक गिरीश महाजन व अन्य याचिकाकर्ता से पूछा कि यदि विधानसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री राज्यपाल को सलाह देते है तो इसमें संवैधानिक रुप से गलत क्या है। हाईकोर्ट ने दो टूक शब्दों में कहा कि कोर्ट नागरिकों के अधिकारों का संरक्षक है। अदालत में आकर राजनीतिक लड़ाई न लड़ी जाए। कोर्ट ने कहा कि क्या विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कोर्ट द्वारा तय किए जानेवाला विषय है। इस तरह के मामले में कोर्ट के दखल से अच्छा संदेश नहीं जाएगा। विधायिका के फैसले का भी सम्मान होना चाहिए। राज्य सरकार ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव 9 मार्च को प्रस्तावित किया है। हालांकि अभी इस पर अधिकृत निर्णय नहीं हुआ है।
सुनवाई शुरु करने 10 लाख रुपए जमा करें याचिकाकर्ता
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता (महाजन) पहले कोर्ट में दस लाख रुपए जमा करे क्योंकि उनकी भूमिका संदिग्ध प्रतीत हो रही है। फिर हम 8 मार्च 2022 को उनकी याचिका पर सुनवाई करेंगे। हालांकि महाजन की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि उनके मुवक्किल कोर्ट में दस लाख रुपए जमा करने के लिए तैयार हैं। खंडपीठ के सामने विधानसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर नियमों में संसोधन करने के बाद 23 दिसंबर 2021 को जारी की गई अधिसूचना को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। इसमें से एक याचिका विधायक महाजन ने दायर की है। जबकि दूसरी याचिका सामाजिक कार्यकर्ता जनक व्यास ने दायर की है। इससे पहले कोर्ट ने व्यास को अदालत में दो लाख रुपए जमा करने को कहा था। इसके बाद उनकी याचिका पर सुनवाई करने की बात कही थी।
याचिका में मुख्य रुप से विधानसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव को लेकर नियम 6 व 7 में किए गए संशोधन को चुनौती दी गई है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता व्यास की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड ने दावा किया है कि नियमों में संशोधन के चलते सिर्फ मुख्यमंत्री ही स्पीकर के चुनाव को लेकर राज्यपाल को सलाह दे पाएंगे। जबकि मुख्यमंत्री को मंत्रिमंडल से सलाह लेकर राज्यपाल के पास सिफारिश करनी चाहिए। लेकिन नियमों में संशोधन के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा है। यह संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ व मनमानीपूर्ण है।
इस दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि 9 मार्च को विधानससभा अध्यक्ष के चुनाव की तारीख तय करने पर विचार हो रहा है लेकिन अभी इसे आधिकारिक तौर पर तय नहीं किया गया है। इस दौरान उन्होंने दोनों याचिकाओं का विरोध किया और कहा कि दोनों याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता (महाजन) सुनवाई के लिए दस लाख क्या दस करोड़ रुपए भी जमा कर सकते हैं।
याचिका पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि क्या संविधान मुख्यमंत्री को मंत्रिमंडल की सलाह लिए बगैर राज्यपाल को परामर्श देने से रोकता है। मुख्यमंत्री यदि राज्यपाल को सलाह देते हैं तो इसमें गलत क्या है। खंडपीठ ने कहा कि मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों को राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह के बाद ही शपथ दिलाते हैं। ऐसे में यदि मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल की सलाह के राज्यपाल को परामर्श देते है तो इसमें गलत क्या है।
खंडपीठ ने कहा कि हम नागरिकों के अधिकार के संरक्षक है। ऐसे में जब तक कानून का कोई बड़ा उल्लंघन न हो तब तक हम विधायिका से जुड़े कामकाज को लेकर हस्तक्षेप क्यों करें। इस मामले में काफी देरी से लेकर विधायक ने याचिका दायर की है। इस पर श्री जेठमलानी ने कहा कि उनके मुवक्किल को निलंबित कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट से मेरे मुवक्किल को जनवरी में राहत मिली है। इसके बाद उन्होंने याचिका दायर की है।
Created On :   4 March 2022 6:40 PM IST