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शहडोल की बेटी पूजा बनी भारतीय महिला टीम का हिस्सा
डिजिटल डेस्क शहडोल । टीवी पर भारतीय स्टार सचिन तेंदुलकर तथा विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग की बैटिंग देखकर शहडोल की बेटी पूजा वस्त्रकार पर क्रिकेट का ऐसा जुनून सवार हुआ कि आज वह भारतीय महिला टीम का अहम हिस्सा बन चुकी है। मध्यम परिवार से ताल्लुक रखने वाली विषम परिस्थितियों में खेलने वाली पूजा का चयन दक्षिण अफ्रीका दौरे पर जाने वाली भारत की सीनियर महिला टीम के लिए किया गया है। मीताली राज की कप्तानी में चयनित भारतीय टीम में पूजा का नाम भी शामिल है। टीम की घोषणा होने के समय पूजा इंदौर में थीं, जहां से वह गोवा पहुंच चुकी है। जहां टी-20 के सेलेक्शन मैच में मप्र का प्रतिनिधत्व करेंगी।
भारतीय टीम का हिस्सा बनने के बाद पूजा को बधाईयों का तांता लगा हुआ है। सोशल मीडिया के अलावा लोग फोन पर बधाईयां दे रहे हैं। शहडोल स्थित पूजा के निवास पर उनके परिजनों को बधाईयां देने लोग पहुंच रहे हैं। 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी पूजा की बड़ी बहन ऊषा वस्त्रकार भी नेशनल एथलीट है। उनके पिता पी वस्त्रकार बीएसएनएल में तृतीय वर्ग कर्मचारी थे। सेवा निवृत्त हो चुके हैं। परिवार, मोहल्ला व नगर में उत्साह का माहौल बना हुआ है। पिता व भाई-बहनों को पूजा पर नाज है।
पापा ने कहा था..खेलोगे कूदोगे बनोगे नवाब...
अण्डर-14 से मप्र टीम में जगह बनाने वाली पूजा को घर-परिवार से खेल को लेकर हमेशा प्रोत्साहन मिला। भास्कर से टेलीफोनिक चर्चा में पूजा ने बताया कि पिता हमेशा प्रोत्साहित करते रहते थे। हमेशा कहा करते थे कि खेलोगे कूदोगे बनोगे नवाब। पूजा ने बताया बल्लेबाजी में रुचि थी। प्रादेशिक एक मैच में बालिंग की। चयनकर्ताओं का ध्यान गया और आज तेज गेंदबाज बन गई। आदर्श के रूप में उन्होनें भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली को बताया। क्योंकि फिटनेस के मामले में उनका जवाब नहीं। अनुशासन के मामले में विराट कोहली मैदान व बाहर बराबर हैं। पूजा ने कहा कि भारतीय टीम का हिस्सा बनना गौरव की बात है। यहां तक के सफर में शहडोल के कोच आशुतोष श्रीवास्तव, डीसीए अध्यक्ष सुनील खरे व सचिव को श्रेय देते हुए उन्होंने बताया उनकी मदद के बिना यहां तक पहुंचना संभव नहीं था।
लड़कों के साथ करती थी प्रैक्टिस: कोच
डीसीए में मप्र क्रिकेट संघ के कोच आशुतोष श्रीवास्तव नीटू ने बताया कि वर्ष 2005 में वह मैदान पर टेनिस बाल से खेल रही थी। नजर पड़ी संघ के माध्यम से खेलने को बोला, वह तैयार हो गई। उसकी लगन, निष्ठा, मेहनत काबिले तारीफ है। मैदान में लड़कियां होती थीं, पूजा लड़कों के साथ खेल का प्रैक्टिस करती थी। घुटने का ऑपरेशन के बाद भी वापसी करना बहुत बड़ी बात है।
Created On :   12 Jan 2018 1:46 PM IST