जिला अस्पताल खुद ही बीमार, मरीजों की जान से खिलवाड़ !

Poor patients are being given poor food in the district hospital
जिला अस्पताल खुद ही बीमार, मरीजों की जान से खिलवाड़ !
जिला अस्पताल खुद ही बीमार, मरीजों की जान से खिलवाड़ !

डिजिटल डेस्क,शहडोल। जिला चिकित्सालय में फैली अव्यवस्थाओं पर प्रबंधन सुधार करने में सफल नहीं हो पा रहा है। 300 बिस्तर का जिला अस्पताल हालात ये है कि यहां भर्ती मरीजों को दिए जाने भोजन की गुणवत्ता में लापरवाही बरती जा रही है। वहीं मैकेनिज्म लांड्री होने के बाद भी मरीजों के बिस्तर से चादर गायब रहते हैं। जिला अस्पताल को चमकाने में लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन मरीजों के उपचार में हो रही लापरवाही की ओर किसी का ध्यान नहीं है। 

गौरतलब है कि यहां भर्ती होने वाले मरीजों के जल्द स्वास्थ्य लाभ के लिए गुणवत्तापूर्ण भोजन देने शासन ने भले ही मैन्यू निर्धारित किया है,लेकिन मरीजों की सेहत से जमकर खिलवाड़ कर सड़ी गली सब्जियां परोसी जा रहा है। मैन्यू के मुताबिक मरीजों को भोजन बिलकुल भी नहीं मिल रहा है। सुबह के नाश्ता व दोपहर को भोजन देखकर लगता है कि भोजन के नाम पर खानापूर्ति ही की जा रही है। संभागीय मुख्यालय के सबसे बड़े जिला चिकित्सालय में रोजाना 150-200 मरीजों के हिसाब से भोजन व नाश्ता दिया जाता है, लेकिन नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। दूर दराज से आने वाले गरीब मरीज बिना किसी कुछ कहे भोजन ले लेते हैं।

सड़ी बरबटी और टमाटर
रसोई में हरी सब्जी के नाम पर सड़ी-गली बरबटी तथा खराब टमाटर रखा हुआ था। मरीजों को दी जाने वाली रोटी जली तथा अधपकी थी। यही नहीं जिस ब्रांड तथा जिस क्वॉलिटी की सामग्री का सेंपल ठेकेदार टेंडर लेने के समय पेश करते है उसके विपरीत खराब स्तर की सामग्री दी जा रही है। 

दवाई काउंटर एक, मरीज 500
जिला अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 500 से अधिक मरीजों को आउटडोर में उपचार होता है। मरीजों को दवा वितरण के लिए केवल एक काउंटर है। जिससे मरीजों को दवाई के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। मरीजों के लिए दवा काउंटर के बाहर बनाया गया शेड भी भीड़ के आगे बौना साबित होता है। चिलचिलाती धूप या झमाझम बारिश में भी मरीजों को दवाई के लिए जद्दोजहद करना पड़ती है। मरीजों के बढ़ते दबाव को देखते हुए दवा वितरण के लिए दो-तीन काउंटर होना चाहिए और स्पेस भी अधिक हो, ताकि मरीज और उनके परिजन धक्कामुक्की से बच सकें।

जिम्मेदार लापरवाह
जिला अस्पताल को चकाचक बनाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर में हर साल लाखों रुपए खर्च होते हैं। कहीं ना कहीं तोड़फोड़ चलती रहती है। जब बात मरीजों के उपचार एवं उनकी सुविधाओं की होती है तो जनप्रतिनिधी और अधिकारी आंख-कान बंद कर लेते हैं। कमिश्नर ने जिला अस्पताल के लिए निरीक्षण के लिए अधिकारियों की ड्यूटी लगाई है। पिछले सप्ताह डिप्टी कलेक्टर डीआर कुर्रे को निरीक्षण के दौरान कई अव्यवस्थाएं मिली थीं। उसके बाद भी कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। डिप्टी कलेक्टर के निरीक्षण के तीन दिन बाद रोगी कल्याण समिति के सदस्यों ने जब निरीक्षण किया तब भी हालात जस के तस थे।

Created On :   11 Sept 2017 12:43 PM IST

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