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माइक्रोवेव डिसइन्फेक्टेंट सिस्टम से दोबारा इस्तेमाल की जा सकेंगी पीपीई किट्स
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बेहद जरूरी पीपीई किट का दोबारा इस्तेमाल करने की तकनीक इजात करने की जोधपुर एम्स की मेहनत रंग लाई है। एक ऐसा तरीका जिससे पीपीई किट को स्टरलाइज कर दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है। अभी तक पीपीई किट को सिर्फ एक बार उपयोग में लाने के बाद उसे नष्ट करना पड़ता है। स्टारलाइज करने से पीपीई को काफी समय तक बचाने में मदद मिलेगी। अभी तक इस विधि का उपयोग लीनन या तत्सम मटेरीयल का स्टरलाइजेशन के लिए किया जाता है। अब इस विधि का उपयोग पीपीई किट के लिए किया जा सकता है। सांसद डॉ. विकास महात्मे की पहल पर जोधपुर एम्स ने शोध किया है। जिसकी सफलता के बाद हरी झंडी दी गई है।
कोरोना पॉजिटिव का उपचार करने के लिए मरीज के पास जाने से पहले पीपीई कीट पहननी पड़ती है। यह किट पहनने के बाद पानी पीने या फ्रैश होने भी नहीं जा सकते। एक बार किट पहनने के बाद उसे उतरने पर खराब हो जाती है। एक किट की कीमत 1200 से 1500 रुपए है। उसे स्टरलाइज कर दोबारा इस्तेमाल करने की तकनीक खोज निकाली है। कानूनी मान्यता के बाद स्टरलाइज किट का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
माइक्रोवेव डिसइन्फेक्टेंट सिस्टम का होगा उपयोग
पीपीई किट स्टरलाइजेशन के लिए माइक्रोवेव डिसइन्फेक्टेंट सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। फिलहाल इसे एम्स तथा बड़े अस्पताल में लीनन और तत्सम मटेरीयल के स्टेबलाइजेशन के लिए किया जाता है। नागपुर में मोनीष भंडारी के पास यह सिस्टम उपलब्ध है। उन्होंने मिनिस्टरी ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स से माइक्रोवेव डिसइन्फेक्टेंट सिस्टम लिया था। सांसद डॉ. विकास महात्मे की पहल पर स्टरलाइजेशन का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है।
सरकार से अनुमति का इंतजार
एम्स ने पीपीई किट के स्टरलाजेशन को हरी झंडी दे दी है। इसे सरकार से अनुमति लेनी है। मोनीष भंडारी ने बताया कि डॉ. विकास महात्मे के मार्गदर्शन में यह प्रक्रिया पूरी की जा रही है। सरकार से अनुमति मिलने पर जल्द ही पीपीई कीट का स्टरलाइजेशन शुरू किया जाएगा। यह प्रक्रिया शुरू होने पर पीपीई कीट की कमी से जुझ रहे अस्पतालों में पर्याप्त सुविधा उपलब्ध होगी।
Created On :   30 April 2020 2:34 PM IST