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'बतकम्मा महोत्सव' की तैयारियां शुरू, जानिए क्या हैं महत्व ?
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। महाराष्ट्र के गड़चिरोली जिले के सिरोंचा तहसील में तेलुगू भाषिय लोग काफी तादाद में है। यहां की धार्मिक परंपरा भी दक्षिण परंपरा से जुड़ी हुई है। इसी कारण हर साल मनाया जाने वाला बतकम्मा महोत्सव आकर्षण का केंद्र बन जाता है। दशहरे के एक दिन पहले होने वाले इस महोत्सव के दौरान विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
गौरतलब है कि सिरोंचा तहसील तेलांगना राज्य से सटी होने के कारण यहां की परंपरा और त्यौहार मनाने का ढंग भी पूरी तरह दक्षिणी है। दीपावली और दशहरे की तरह ही यहां की महिलाएं बतकम्मा महोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाती हैं। बतकम्मा देवी की आराधना से सभी दुख दूर हो जाते हैं। धन-धान्य और सौभाग्य की प्राप्ति के साथ ही जीवन सरल हो जाता है। हर वर्ष दशहरे के एक दिन पहले यानी नवमी को बतकम्मा महोत्सव का आयोजन किया जाता है। बतकम्मा को माता गौरी का ही एक रूप माना जाता है।
क्या है महत्व ?
यह महोत्सव मुख्य रूप से महिलाओं की आस्था से जुड़ा हुआ है। इस दिन महिलाएं विभिन्न प्रकार के फूलों को इकट्ठा कर एक बर्तन में बतकम्मा देवी की प्रतिकृति तैयार करती हैं जिसकी जितनी बड़ी प्रतिकृति उसका उतना ही बड़ा स्थान होता है। तैयार की गयी बतकम्मा की प्रतिकृति की एक विशिष्ट मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की जाती है। यहां पर विभिन्न प्रकार के भजन भी गाए जाते हैं। बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन कर मनोरंजन कार्यक्रम भी किए जाते हैं। पूरे दिन आस्था के साथ कार्यक्रमों का आयोजन कर शाम में माता बतकम्मा का विसर्जन किया जाता है।
क्या है किवदंती ?
हजारों साल पहले उत्तर तेलंगाना के घने जंगल में कुछ राक्षसों ने उपद्रव मचा रखा था। यहां तक कि वे क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं की मान मर्यादा के साथ खिलवाड़ करने लगे थे। कुछ महिलाओं ने राक्षसों के खिलाफ आवाज उठाते हुए महाऋषियों को अपनी व्यथा सुनाई। राक्षसों से बचने के लिए ऋषियों ने महिलाओं को माता गौरी की आराधना करने की सलाह दी। तब उस प्रांत की महिलाओं ने कुछ फूलों को इकट्ठा कर उसे सजाकर पूजा अर्चना आरंभ की। इस दौरान माता गौरी ने प्रसन्न होकर महिलाओं को दर्शन दिए। राक्षसों का संहार करने का वचन देकर माता गौरी ने राक्षसों का वध भी किया। इसके बाद से ही महिलाएं अपनी मान-मर्यादा की रक्षा के लिए माता गौरी की आराधना करने लगीं।
तेलुगू भाषा में माता गौरी देवी को बतकम्मा माता के नाम से जाना जाता है। माता गौरी ने राक्षसों के संहार के बाद महिलाओं को एक वरदान भी दिया। इस वरदान के अनुसार जो भी महिला माता गौरी की सच्ची श्रध्दा और भक्ति से पूजा-अर्चना करेगी, उन्हें धन-धान्य और सौभाग्यशाली जीवन प्राप्त होगा। उसी समय से बतकम्मा महोत्सव आरंभ हुआ।
Created On :   23 Sept 2017 12:13 PM IST