आखिर कैसे बढ़ गए राष्ट्रपति चुनाव में 21 वोट?
नई दिल्ली. राष्ट्रपति चुनाव में मतों का मूल्य 21 बढ़ गया है... आप हैरान होंगे कि 1971 की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित और स्थिर राष्ट्रपति चुनाव के मतदाताओं के मतों का मूल्य आखिर 21 कैसे बढ़ गया... राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतों का मूल्य 10, 98, 882 होता है लेकिन 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में ये बढ़कर 10, 98, 903 हो गया है...
आँध्र प्रदेश के बँटवारे की वजह से मतों में बढोतरी:
दरअसल, आंध्र प्रदेश राज्य का बँटवारा 2014 में हुआ था... आँध्र प्रदेश के बँटवारे के बाद आँध्र प्रदेश और तेलंगाना दो राज्य बने... राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया से दोनों नवसृजित राज्यों के 1971 के जनसंख्या का आँकड़ा माँगा ताकि दोनों राज्यों के मतों का मूल्य निर्धारित किया जा सके.... रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया ने चुनाव आयोग को दोनों राज्यों के 1971 के जनसंख्या आँकड़े मुहैया कराया... संयुक्त आंध्रप्रदेश की कुल जनसंख्या और मौजूदा आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के कुल जनसंख्या में कोई फ़र्क़ नहीं था लेकिन फिर भी मतों का मूल्य निकालने की प्रक्रिया के बाद 21 वोट बढ़ गया...खास बात ये है कि मतों का मूल्य विधायकों के कुल मतों के मूल्य में बढोतरी की वजह से हुआ है. सांसदों के कुल मतों का मूल्य पहले की तरह बरक़रार है... संयुक्त आंध्रप्रदेश के कुल विधायकों का मूल्य पहले 43, 512 था और एक विधायक के मत का मूल्य तब 148 था जबकि बँटवारे के बाद आंध्रप्रदेश के 175 विेधायक और तेलंगाना के 119 विधायक के मतों का कुल मूल्य बढ़कर 43,533 हो गया है... अब आंध्रप्रदेश के एक विधायक के मत का मूल्य 159 और तेलंगाना के एक विधायक के मत का मूल्य 132 हो गया है
2002 के राष्ट्रपति चुनाव में भी बढ़ा था कुल मतों का मूल्य:
राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतों का मूल्य 2002 के राष्ट्रपति चुनाव के समय भी बढ़ चुका है... चुनाव आयोग के एक अधिकारी के मुताबिक 2000 में झारखंड, छतीसगढ़ और उत्तराखंड राज्य के निर्माण के बाद भी वोटों के कुल मूल्य में इज़ाफ़ा हुआ था...
Created On :   10 Jun 2017 10:17 AM IST