प्रधानमंत्री ने सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक राष्ट्रीय सम्मलेन का उद्घाटन कियाभ्रष्टाचार को लेकर भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति है

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प्रधानमंत्री ने सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक राष्ट्रीय सम्मलेन का उद्घाटन कियाभ्रष्टाचार को लेकर भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आज सतर्क भारत, समृद्ध भारत थीम पर सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। सतर्कता से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जागरूकता बढ़ाने और नागरिक भागीदारी के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में अखंडता और ईमानदारी को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करने के उद्देश्य से केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल संयुक्त भारत के साथ-साथ देश की प्रशासनिक प्रणाली के भी वास्तुकार हैं। देश के पहले गृह मंत्री के रूप में, उन्होंने ऐसी व्यवस्था बनाने का प्रयास किया, जो देश के आम आदमी के लिए हो और जहां नीतियां सत्यनिष्ठा पर आधारित हों। श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आगामी दशकों में एक अलग स्थिति देखी गई, जिसमें हजारों करोड़ रुपये के घोटाले हुए, शेल कंपनियां बनीं, कर उत्पीड़न और कर चोरी की गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में, जब देश ने एक बड़ा बदलाव करने और एक नई दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया, तो इस वातावरण को बदलना एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद काले धन के खिलाफ समिति का गठन लटका हुआ था। इस सरकार के बनने के तुरंत बाद समिति का गठन किया गया था। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से देश में बैंकिंग क्षेत्र, स्वास्थ्य क्षेत्र, शिक्षा, श्रम, कृषि आदि सहित कई क्षेत्रों में सुधार देखे गए। उन्होंने कहा कि इन सुधारों के आधार पर देश अब अपनी पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है ताकि आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाया जा सके। उन्होंने भविष्य में भारत के दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बनने की उम्मीद जताई। प्रधानमंत्री ने प्रशासनिक व्यवस्था को पारदर्शी, जिम्मेदार, जवाबदेह, जनता के प्रति उत्तरदायी बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार का कोई भी रूप इसका सबसे बड़ा दुश्मन है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार एक तरफ देश के विकास को नुकसान पहुंचाता है और दूसरी तरफ यह सामाजिक संतुलन और उस भरोसे को खत्म कर देता है, जो लोगों का सिस्टम में होना चाहिए और इसलिए, उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से निपटना किसी एक एजेंसी या संस्था की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से स्टैंड-अलोन अप्रोच से नहीं निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब देश का सवाल आता है तो सतर्कता का दायरा बहुत विस्तृत हो जाता है। यह भ्रष्टाचार हो, आर्थिक अपराध, ड्रग नेटवर्क, धन शोधन, आतंकवाद, या टेरर फंडिंग, बहुत बार ऐसा देखा गया है कि ये सभी जुड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के साथ व्यवस्थित जांच, प्रभावी ऑडिट, और क्षमता निर्माण व प्रशिक्षण की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह समय की जरूरत है कि सभी एजेंसियां तालमेल और सहयोगात्मक भावना के साथ काम करें। उन्होंने सम्मेलन के एक प्रभावी मंच के रूप में उभरने की कामना की, जो सतर्क भारत, समृद्ध भारत बनाने के नए तरीकों के बारे में सुझाव दे। प्रधानमंत्री ने 2016 के सतर्कता जागरूकता कार्यक्रम के दौरान कही अपनी बातों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे देश में, जो गरीबी से लड़ रहा है, भ्रष्टाचार का कहीं भी स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दशकों से गरीबों को उनका हक नहीं मिला लेकिन अब डीबीटी के कारण गरीबों को सीधे उनका लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि अकेले डीबीटी के कारण 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि को गलत हाथों में जाने से बचाया गया है। उन्होंने इस पर संतोष व्यक्त किया कि संस्थानों में लोगों के भरोसे को फिर से बहाल किया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की ओर से न तो ज्यादा हस्तक्षेप होना चाहिए और न ही पूरी तरह से दूरी। 

Created On :   28 Oct 2020 8:51 AM GMT

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