प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना

Prime Ministers Rural Housing Scheme
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना
पन्ना प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना

डिजिटल डेस्क, पन्ना। भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत ग्रामीण परिवारों को पक्का आवास सुनिश्चित करने के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना का क्रियान्वयन कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों को टारगेट पूरा करने का जो दबाव है उससे कर्मचारी अब इस कदर परेशान होने लगे हैं कि नौकरी छोडना उनके लिए मजबूरी के रूप में सामने आने लगा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना जोकि हितग्राही मूलक योजना है और इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के हितग्राही को ०१ लाख २० हजार रूपए की राशि किश्तों के रूप में आवास निर्माण के लिए उनके खातों में दी जाती है। २४० वर्गफिट में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हितग्राही को एक कमरे के साथ किचिन एवं शौचालय का निर्माण कार्य पूरा करना होता है।

आवास निर्माण कार्य पूरा कराने की जिम्मेदारी योजना से जुडे अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दी गई है। २४० वर्गफिट क्षेत्र में मंहगाई के इस दौर में जब सीमेण्ट, लोहा सहित अन्य निर्माण सामग्री सहित मजदूरी के दाम दोगुने हो चुके हैं। शासन द्वारा प्रधानमंत्री आवास के क्रियान्वयन से जुडे हितग्राहियों को आवास निर्माण के लक्ष्य को पूरा करने का टारगेट दिया जा रहा है और इसकी समीक्षा होने के दौरान प्रगति नहीं होने की स्थिति के चलते योजना से जुडे अधिकारी-कर्मचारियों को उच्च स्तर से डांट-फटकार झेलनी पड रही है। जिससे योजना से जुडे कर्मचारी मानसिक अवसाद के दौर से गुजर रहे हैं। पन्ना जिले में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत जिले के पांच विकासखण्डों में से तीन विकासखण्डों के ब्लाक क्वार्डिनेटरों द्वारा बीते सोमवार को राज्य स्तरीय वीडियो कांफ्रेसिंग की समीक्षा बैठक के बाद जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को अपने त्याग पत्र सौंप दिए जाने की जानकारी सामने आई है।

जिन ब्लाक क्वार्डिनेटरों द्वारा त्याग पत्र दिए गए हैं उनमें शाहनगर विकासखण्ड में कार्यरत आशिफ अंसारी, अजयगढ विकासखण्ड में कार्यरत अखण्ड प्रताप सिंह तथा पवई विकासखण्ड में कार्यरत कृष्णकांत तिवारी शामिल हैं। उक्त तीनों क्वार्डिनेटरों द्वारा सौंपे गए अपने इस्तीफे में कहा गया है कि उन्होंने अपनी नियुक्ति दिनांक से अभी तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ किया गया है किंतु वर्तमान परिस्थितियों एवं नियमों में बदलाव के कारण वह मानसिक रूप से अत्याधिक दबाव में हैं तथा अवसाद में जाने की स्थिति में हैं। शासन द्वारा दिनांक २८ मार्च २०२२ को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो वर्क चार्ट जारी किया गया है वह द्वेष भावना के तहत दबाव बनाने हेतु किया गया है। विकासखण्ड समन्वयकों की वेतन विसंगति तीन वर्ष बाद भी शासन ने दूर नहीं की है। प्रधानमंत्री आवास योजना हेतु समस्त राशि हितग्राहियों के खाते में जाती है। हितग्राही द्वारा इस मंहगाई में जबकि शासन आवास निर्माण के लिए ०१ लाख २० हजार रूप्ए की राशि दे रही है निर्माण करना अत्याधिक कठिन है। विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक प्रयास कर हितग्राहियों को प्रेरित करने का कार्य करते हैँ परंतु प्रगति नहीं आने पर उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना कितना उचित है।

सौंपे गए त्याग पत्र में ब्लाक क्वार्डिनेटरों द्वारा योजना के क्रियान्वयन को लेकर आने वाली व्यवहारिक कठिनाईयों को नजरअंदाज करते हुए टारगेट देकर समीक्षा वीडियो कांफ्रेसिंग से हर सप्ताह की जाती है और इस पूरी प्रक्रिया के दौरान विकासखण्ड समन्वयक मानसिक रूप से अवसाद का सामना कर रहे हैं। इतना ही नहीं स्थिति यह हो गई है कि योजना के अंतर्गत जिस तरह से उनको अव्यवहारिक रूप से कार्य पूर्ण करवाने की जिम्मेदारी निर्धारित की गई है उससे वह अपने परिवार से भी दूर हो रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में विवश होकर वह अपना त्याग पत्र सौंप रहे हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना को लेकर जहां उक्त तीन स्त्रोत समन्वयक अपना त्याग पत्र सौंप चुके हैं वहीं चौथा ब्लाक समन्वयक जोकि विकासखण्ड गुनौर में पदस्थ हैं वह भी बीते दिन बीमारी की वजह बताकर अवकाश पर चले गए हैं। जिले में एक साथ प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत तीन ब्लाकों में नियुक्त क्वार्डिनेटरों के इस्तीफे और एक के बीमार हो जाने के बाद प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की प्रगति और अधिक प्रभावित होने की संभावनाओं से पंचायत प्रशासन भी चिंतित हैं। बताया जाता है कि जिन ब्लाक क्वार्डिनेटरों द्वारा त्याग पत्र सौंपे गए हैं वह अभी स्वीकृत नहीं हुए हैं।


 

Created On :   21 April 2022 4:28 PM IST

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