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सीधे आने वालों की बजाय समय लेकर वैक्सीनेशन के लिए पहुंचने वालों को दी जाए प्राथमिकता-हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि टीके के लिए निर्धारित समय मिलने के बावजूद टीकाकरण केंद्र में बुजुर्गों का घंटो इंतजार करना अमानवीय स्थिति को दर्शाता है। इसलिए कोविन पोर्टल से जिन्हें पहले समय दिया गया है। उन्हें टीके में प्राथमिकता दी जाए। कोर्ट ने कहा कि जब टीके के पंजीयन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था है तो टीकाकरण केंद्रो में सीधे आने पर (वॉक इन) टीका देने की समानांतर व्यवस्था क्यों चलाई जा रही हैं। सरकार टीके के लिए पश्चिमी देशों का मॉडल अपनाने पर विचार करें।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने यह बाते कोविन पोर्टल में टीके के पंजीयन में लोगों को आ रही दिक्कतों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। याचिका में कहा गया है कि कोविन एप खास समय पर खुलता है औऱ कुछ सेकंडों में टीके का स्लॉट भर जाता हैं। इसके अलावा पोर्टल में जिन्हें टीके के लिए समय दिया जाता है जब वे केंद्र पर पहुँचते है तो वहां टीका न होने की बात कही जाती है। इसके अलावा कहा जाता है कि वॉक इन आनेवाले लोगों को टीका दे दिया गया है।
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता जमशीद मास्टर ने कहा कि उनके पिता वरिष्ठ नागरिक हैं। उन्हें टीके के लिए सुबह नौ से 11 बजे का समय दिया गया था। लेकिन टीका शाम पांच बजे के करीब लगा। उन्होंने कहा कि कई बुजुर्ग भूखे टीके के इंतजार में घंटो बैठे रहते है। टीकाकरण केंद्रो में भारी भीड़ है। व्हीलचेयर में भी लोगों को लंबे समय तक बैठना पड़ता हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा कि यह स्थिति अमानवीय है। यह नागरिकों के साथ नाइंसाफी हैं। यदि कोई डाइबिटिक है तो क्या वह घंटो बिना खाने के वहां रह सकता हैं। टीके के लिए ऑनलाइन व्यवस्था होना ठीक है लेकिन टीके के लिए समानांतर वॉक इन व्यवस्था क्यों चलाई जा रही है। वहीं मुंबई महानगरपालिका की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता गीता शास्त्री ने कहा कि मनपा के पास टीके का सीमित स्टॉक है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को गुरुवार को 2 लाख टीके मिलने वाले हैं।
इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार टीके को लेकर पश्चिम देशों का मॉडल अपनाने पर विचार करे। खंडपीठ ने कहा कि अमेरिका कोरोना से काफी प्रभावित था लेकिन वहां की काफी आबादी को टीका लग चुका है। अमेरिका में कितनी जनहित याचिकाए दायर हुई है। यदि एक भी याचिका नहीं हुई है तो इसका अर्थ है कि या तो वहां की व्यवस्था काम कर रही है या फिर लोग जागरूक नहीं है। आखिर राज्य सरकार टीके के लिए अमेरिका जैसी व्यवस्था क्यों नहीं बनाती। खंडपीठ ने कहा नागरिकों को टीके के अधिकार की मांग के साथ सुरक्षा उपायों के पालन पर भी जोर देना चाहिए। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर सुनवाई 2 जून 2021 को रखी है।
Created On :   20 May 2021 8:23 PM IST