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निजी अस्पतालों ने भगाया, इलाज न मिलने से ओएफके कर्मी की मौत
डिजिटल डेस्क जबलपुर । लॉक डाउन में शहर के आधे से अधिक निजी अस्पतालों ने मारीजों का उपचार बंद कर दिया है। जिला प्रशासन के तमाम आदेशों की अनदेखी करते हुए चिकित्सक अस्पतालों में बैठ नहीं रहे हैं। इसी मनमानी का खामियाजा ऑर्डनेंस फैक्ट्री के कर्मी को अपनी जान देकर भुगतना पड़ गया। ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया में क्यूएफ-2 सेक्शन में परीक्षक के पद पर कार्यरत लक्ष्मण केवट को दो दिन पहले तेज बुखार आया। गढ़ा निवासी आयुध कर्मी को उनके परिजन लेकर निजी अस्पताल में पहुँचे लेकिन वहाँ तैनात कर्मचारियों ने भर्ती करने से मना कर दिया। लेबर यूनियन का आरोप है कि इसके बाद पास के ही दूसरे अस्पताले में भी उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया गया, जबकि दोनों अस्पतालों से फैक्ट्री का टाइअप है।
घर पर तड़पता रहा कर्मी7 निजी अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने से निराश होकर कर्मी के परिजन उन्हें घर वापस ले गए, जहाँ हालत बिगडऩे पर उन्हें मेडिकल ले जाया गया। मेडीकल के चिकित्सकों ने बताया कि मस्तिष्क ज्वर की वजह से मरीज की हालत काफी गंभीर हो गई है। आखिरकार, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
सीएमओ को भेजा पत्र
वहीं साथी कर्मचारी की बिना इलाज के मौत होने से नाराज ओएफके लेबर यूनियन के महामंत्री ने मुख्य चिकित्सक अधिकारी, ओएफके को पत्र लिखकर कार्रवाई की माँग की है। लेबर यूनियन के रामप्रवेश, शरद अलवाल, अर्नबदास गुप्ता ने कलेक्टर से कठोर कार्रवाई की माँग की है। बुजुर्गों की दवाइयाँ, न डिस्पेंसरी में, न ही बाजार में सीजीएचएस कार्ड धारियों की मुश्किलें बढ़ीं
सीजीएचएस कार्ड धारियों को न तो डिस्पेंसरी में दवाइयाँ हासिल हो पा रही हैं और न ही बाजारों में। बुजुर्गों का कहना है कि इस वजह से कई तरहों की परेशानियों का उन्हें सामना करना पड़ रह है। केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना में दवाइयों का टोटा होने लगा है। ग्रेनेडियर वरिष्ठ नागरिक केंद्रीय परिषद् के सदस्य डीके गुप्ता, काजल विश्वास का कहना है कि सीजीएचएस के डाक्टरों का कहना है कि दवाइयाँ सप्लाई करने वालीं फर्मों का तर्क है कि बहार से दवाओं की सप्लाई नहीं होने के कारण इस तरह की परेशानी खड़ी हुई है। परिषद के आल्ताफ मसीह, ओपी लाल ने भारत सरकार और सीजीएचएस के डीएचएस से माँग की है कि इस समस्या का कोई निदान निकाला जाए।
Created On :   7 April 2020 2:10 PM IST