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हथियारों के आयात पर पाबंदी लगने से शहर के सुरक्षा संस्थानों की प्रोडक्टिविटी में होगा इजाफा
डिजिटल डेस्क जबलपुर । लॉकडाउन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था, यह अवसर चुनौतियों को अवसर में बदलने का है। गोला-बारूद, हथियारों के आयात पर लगाई गई रोक संभवत: जबलपुर के लिए वही अवसर है। रक्षा मंत्रालय ने जिन 101 प्रोडक्ट के इम्पोर्ट पर बैन लगाया है उसमें से 21 ओएफबी बनाती है। खास बात यह है कि इसमें 7 उत्पाद की (33त्न) हिस्सेदारी अकेले जबलपुर की है। आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड का कुल उत्पादन लक्ष्य 15,687 करोड़ का है, जबकि जबलपुर के चारों सुरक्षा संस्थानों का टारगेट तकरीबन 4,200 करोड़ तक पहुँचता है, जबकि रक्षा बजट में से हथियारों की खरीददारी का कुल हिस्सा लाखों करोड़ तक पहुँच रहा है। जानकारों का कहना है कि आयात को अगर बंद किया जाता है तो निश्चित तौर पर ओएफबी को फायदा मिलेगा और जबलपुर की आयुध निर्माणियों के लिए यही अच्छे दिन साबित होंगे।
जबलपुर के प्रोडक्ट, जो अब विदेश से नहीं खरीदे जाएँगे
120 एमएम फिन स्टेबिलाइज्ड ऑर्मर पियरसिंग डिस्कार्डिंग सेबोट ओएफके
ट्रेक्ड सेल्फ प्रोपेलेड गन 155एमएम 52 कैलिबर जीसीएफ
टोव्ड आर्टीलरी गन 155एमएम 52 कैलिबर जीसीएफ
अल्ट्रा लाइट हैवित्जर 155एमएम 39 कैलिबर जीसीएफ
ऑल वेरिएंट ऑफ डेप्थ चार्जेस ओएफके
जनरल पर्पस प्री फ्रेगमेंटेशन बॉम्ब 250-500 किग्रा ओएफके
फील्ड आर्टीलरी ट्रैक्टर (एफएटी ) मीडियम गन
वीएफजे टारगेट तीन साल का, न के बराबर
देश का मौजूदा रक्षा बजट 4.31 लाख करोड़ रुपए का है इस लिहाज से देखा जाए तो आयुध निर्माणी बोर्ड को दिया जाने वाला टारगेट न के बराबर है। जानकारों का कहना है कि आयात पर रोक लगने से इन हाउस प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा और ओएफबी तथा प्राइवेट डिफेंस सेक्टर की जिम्मेदारी बढ़ेगी।
टारगेट तीन साल का, न के बराबर7 देश का मौजूदा रक्षा बजट 4.31 लाख करोड़ रुपए का है इस लिहाज से देखा जाए तो आयुध निर्माणी बोर्ड को दिया जाने वाला टारगेट न के बराबर है। जानकारों का कहना है कि आयात पर रोक लगने से इन हाउस प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा और ओएफबी तथा प्राइवेट डिफेंस सेक्टर की जिम्मेदारी बढ़ेगी।
बेहतर संकेत
जिन 101 रक्षा उत्पादों के आयात पर रोक लगाई गई है उनमें से तकरीबन दो दर्जन का उत्पादन आयुध निर्माणियों में होता है। निर्माणियों को बेहतर अवसर मिलेगा।
- एसएन पाठक अध्यक्ष, एआईडीईएफ
नीतियाँ बनती कुछ और है अमल किसी और तरीके से होता है। आत्मनिर्भर होना जरुरी है लेकिन फायदा कार्पोरेट घरानों को पहुँचाया जाता है। ओएफबी को ज्यादा काम मिलने की उम्मीद है।
अरुण दुबे, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, इंटक
Created On :   13 Aug 2020 1:58 PM IST