पुनर्मूल्यांकन शुल्क लौटाने का वादा अधूरा गत 4 वर्ष में 4.30 करोड़ रुपए जमा

Promise to return the revaluation fee is incomplete
पुनर्मूल्यांकन शुल्क लौटाने का वादा अधूरा गत 4 वर्ष में 4.30 करोड़ रुपए जमा
नागपुर यूनिवर्सिटी पुनर्मूल्यांकन शुल्क लौटाने का वादा अधूरा गत 4 वर्ष में 4.30 करोड़ रुपए जमा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा पुनर्मूल्यांकन में नंबर बढ़ने पर विद्यार्थियों को पुनर्मूल्यांकन शुल्क लौटाने के वादे को 4 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद विवि ने इस योजना को लागू नहीं किया है। करीब चार वर्ष पूर्व तत्कालीन कुलगुरु डॉ.सिद्धार्थविनायक काणे ने यह फैसला लेकर वित्त व लेखा विभाग को आदेश भी दे दिया था, लेकिन इसके बावजूद यह अमल में नहीं आ सका। हाल ही में हुई सीनेट बैठक में विवि प्रशासन ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि शुल्क लौटाने का फैसला विवि की तिजोरी के लिए सही नहीं होगा, ऐसे में फिलहाल शुल्क लौटाने पर विवि की कोई योजना नहीं बनी है। उल्लेखनीय है कि नागपुर विवि द्वारा जारी परिणाम से संतुष्ट न होने पर विद्यार्थियों को पुनर्मूल्यांकन की सुविधा दी जाती है। एक पेपर के लिए 160 तो दो पेपर के लिए 320 रुपए का शुल्क भरना होता है। हर परीक्षा के बाद हजारों की संख्या में विद्यार्थी पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन भरते हैं। 

चौंकाने वाले आंकड़े

विवि प्रशासन द्वारा एक आरटीआई के जवाब में सार्वजनिक की गई जानकारी के अनुसार वर्ष 2017-18 की ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन परीक्षा के बाद 84 हजार विद्यार्थियों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन भरा थ, जिससे नागपुर विश्वविद्यालय को 1 करोड़ 15 लाख रुपए की आय प्राप्त हुई है। इसी तरह वर्ष 2018-19 की ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन परीक्षा के बाद 1 लाख 8 हजार विद्यार्थियों पुनर्मूल्यांकन आवेदन भरा था, जिससे विवि को 1 करोड़ 66 लाख रुपए की आय हुई थी।  ऐसे ही वर्ष 2019-20 के परीक्षा सत्र में विवि को 1 करोड़ 45 लाख रुपए की आय हुई। ऐसे में बीते तीन वर्ष में नागपुर विवि ने सिर्फ पुनर्मूल्यांकन के नाम पर विद्यार्थियों से 4 करोड़ 30 लाख रुपए की आय प्राप्त की है। 

क्यों लौटाने वाले थे शुल्क?

दरअसल पुनर्मूल्यांकन मे यदि नंबर बढ़ते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि  विश्वविद्यालय की ओर से ही मूल्यांकन में चूक हुई थी, इसमें विद्यार्थी की कोई गलती नहीं थी। जब गलती विश्वविद्यालय की है, तो विद्यार्थी बेवजह पुनर्मूल्यांकन शुल्क क्यों भरेंगे? इसी सोच के साथ तत्कालीन कुलगुरु डॉ.काणे ने नंबर बढ़ने पर शुल्क लौटाने का फैसला लिया था, लेकिन अब इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

Created On :   8 Nov 2021 6:31 PM IST

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