बेटा-बेटी में भेदभाव दूर करने के लिए जनजागरण जरूरी

Public awareness is necessary to remove discrimination between son and daughter
बेटा-बेटी में भेदभाव दूर करने के लिए जनजागरण जरूरी
विचार चर्चा बेटा-बेटी में भेदभाव दूर करने के लिए जनजागरण जरूरी

डिजिटल डेस्क, भंडारा। भारत के संविधान ने सभी भारतियों को समान अधिकार दिया है, भेदभाव का विषय दस्तावेजों पर से वर्षो पहले ही समाप्त हो गया है। परंतु नागरिकों की अविचारणीय वृत्ती के कारण बेटा व बेटी का भेदभाव आज भी समाज में दिखाई दे रहा है। बेटी को भी जीवन जीनों दो, शिक्षण लेने दो यही सही अर्थो में सामाजिक क्रांती है। उक्त विषय को लेकर जनजागृती की आवश्यकता है। उक्ताशय के विचार अधिवक्ता स्नहेल पारधी ने व्यक्त किए। राज्य विधी सेवा आयोग, मुंबई उच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार स्वतंत्रा का अमृत महोत्सव तहसील विधि सेवा समिति पवनी के अध्यक्ष न्या. आर. यादव के निर्देश अनुसार नगर परिषद कनिष्ठ महाविद्यालय पवनी में आयोजित किए गए कार्यक्रम में अधिवक्ता स्नहेल पारधी ने समाज में शुरू लैंगिक भेदभाव, बालविवाह प्रथा, बेटियों का शिक्षण व सबलीकरण इस प्रकार के विविध विषयों पर मार्गदर्शन किया। इस समय पर बेटी बचाव, बेटी पढाव उक्त विषय पर अधिवक्ता कावेरी शेंडे ने भृणहत्या न करते हुए बेटी को जन्म देने का संदेश दिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष स्थान पर नगर परिषद कनिष्ठ महाविद्यालय के प्राचार्य के. एम. डांगे व प्रमुख अतिथि वरिष्ठ प्राध्यापक पी. डी. इंगोले उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सीमा ममवर ने किया। आभार प्रदर्शन प्रा. आर ओ सरवटकर ने किया। 

Created On :   14 Oct 2021 7:51 PM IST

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