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PUC : 50 में टू व्हीलर, 100 में फोर व्हीलर का सर्टिफिकेट,कई जगह बिना जांच दिए जा रहे सर्टिफिकेट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आरटीओ का दावा है कि ट्रांसपोर्ट पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) ऑनलाइन हो गए हैं। इसमें किसी भी तरह के फर्जीवाड़े होने की गुंजाइश खत्म हो गई। इसकी एक पूरी प्रक्रिया है, जिसमें अब सब कुछ ऑनलाइन होगा। मगर हकीकत यह है कि उक्त सर्टिफिकेट बिना किसी जांच-पड़ताल के आरटीओ परिसर और उसके आस-पास बन रहे हैं। इस पूरे मामले का खुलासा दैनिक भास्कर ने एक स्टिंग ऑपरेशन कर किया है।
ऐसे हुआ स्टिंग
पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आरटीओ परिसर और उसके आस-पास जाने के बाद आरटीओ परिसर के सामने वैन पर ‘स्थापित’ एक पीयूसी सेंटर पर शुक्रवार को कहा गया कि ऑनलाइन बनवाना पड़ेगा। मगर फिलहाल ऑनलाइन भी नहीं बन पाएगा, क्योंकि सर्वर बंद है। इसी बीच वहां खड़े एक दलाल ने कहा-यदि आपकी जुगाड़ है तो सब कुछ हो जाएगा, मगर पैसे ज्यादा लगेंगे। इसी बीच आरटीओ परिसर में ही एक अन्य दलाल मिला, जिसका कहना था कि अतिरिक्त रुपए की कोई जरूरत नहीं, आरटीओ के गेट के कुछ कदम पर ही बिना किसी जांच के यह सर्टिफिकेट बन जाएगा। फिर वह हमें साइ ताज पीयूसी सेंटर पर लेकर गया, जो आरटीओ के गेट के पास ही मौजूद है। उल्लेखनीय है कि नागपुर में भी 31 पीयूसी सेंटर संचालित हो रहे हैं।
कार्रवाई करेंगे
शहर में हर जगह केंद्रों को ऑनलाइन कर दिया गया है। जहां पर बिना जांच पीयूसी दिए जा रहे हैं, वह अवैध केंद्र है। हमारे पास अभी तक अवैध केंद्रों को लेकर कोई शिकायत नहीं आई है। आपने जानकारी दी है तो हम कार्रवाई करेंगे। -शेखर चन्ने, परिवहन आयुक्त
एयर पोल्यूशन में राज्य में तीसरा स्थान
एयर विजुअल ग्रीनपीस ने 2018 में सर्वाधिक प्रदूषित शहरों के आंकड़े जारी किए थे, जिसमें नागपुर शहर राज्य में तीसरे स्थान पर था। शहर के वातावरण में पीएम 2.5 का औसतन वार्षिक प्रमाण 46.6 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था।
लगी थी लंबी कतार मानों महाप्रसाद बंट रहा हो
जैसे ही संवाददाता वैन के पास पहुंचा तो वहां का दृश्य देखकर आवाक रह गया। संबंधित वैन में कुछ भी नहीं था। न तो कोई मशीन और न ही जांच करने संबंधी कोई यंत्र, फिर भी लंबी कतार लगी थी। 50 रुपए में टू व्हीलर और 100 रुपए में फोर व्हीलर थोक के भाव में पीयूसी सर्टिफिकेट बन रहे थे। संवाददाता ने गाड़ियों के नंबर बताए और बिना किसी देर के तुरंत सर्टिफिकेट भी ले लिया। उक्त सर्टिफिकेट के लिए ऐसे भीड़ लगी हुई थी, जैसे भंडारे के लिए लगी होती है। भास्कर के पास इस पूरे मामले का वीडियो मौजूद है।
चार लाख तक की मशीन की जरूरत ही नहीं
डीजल वाहनों की पीयूसी जांच के लिए करीब चार लाख का स्मोक मीटर और पेट्रोल, सीएनजी व एलपीजी वाहनों के लिए 1 लाख रुपए की मल्टी गैस अनालाइजर लेनी होती है। इसके साथ ही कंप्यूटर कैमरा और अन्य उपकरण लगभग 50 हजार के होते हैं। जबकि कुछ सेंटर को इसकी जरूरत ही नहीं। बिना जांच ही सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं।
यह है अधिकृत रेट
पीयूसी जांच के लिए दोपहिया वाहन के 30, तिपहिया पेट्रोल वाहन के 60, चौपहिया पेट्रोल सीएनजी एलपीजी वाहन के 80 और डीजल वाहन के 100 रुपए लगते हैं। नए मोटर व्हीकल अमेंडमेंड एक्ट 2019 के तहत पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं होने पर 10000 का चालान भरना पड़ेगा। इससे पहले 1000 का चालान था।
कार्रवाई के लिए शिकायत का इंतजार
हैरत की बात यह है कि अवैध सेंटर शहर के किसी दूसरे क्षेत्र में किसी गली में या छिपा कर नहीं किया जा रहा है। यह अवैध केंद्र शहर आरटीओ के बाहर मेन रोड पर कुछ ही दूरी पर है। आरटीओ से गुजरने वाले हर व्यक्ति को यह अवैध केंद्र दिखाई देते हैं। इसके बावजूद आरटीओ अधिकारी और अन्य कर्मचारी अनदेखा कर रहे हैं। कार्रवाई करने के लिए भी शिकायत का इंतजार किया जा रहा है।
Created On :   21 Sept 2019 11:18 AM IST